Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Dec, 2017 09:14 PM
बहुत पुरानी बात है। मारथा नाम की एक लड़की को बचपन से ही डांस करने का शौक था। उसके पिता डाक्टर थे। वह विकार से ग्रस्त मरीजों को अंग संचालन के व्यायाम सिखाते थे।
बहुत पुरानी बात है। मारथा नाम की एक लड़की को बचपन से ही डांस करने का शौक था। उसके पिता डाक्टर थे। वह विकार से ग्रस्त मरीजों को अंग संचालन के व्यायाम सिखाते थे। मारथा को अपने पिता से नृत्य सीखने की इजाजत नहीं मिली। दरअसल मारथा एक ईसाई परिवार से थी। जिस ईसाई पंथ से उसका परिवार जुड़ा था, उसमें नृत्य की मनाही थी। पर मारथा का मन नहीं माना, उसे डांस का बहुत शौक था। लिहाजा उसने अपने पिता की आज्ञा लेकर कला से जुड़े एक स्कूल में दाखिला ले लिया। उसके बाद उसने टेड शॉन के साथ रहकर पेशेवर नृत्य करना शुरू कर दिया। टेड ने खास उसके लिए एक विशेष नृत्य तैयार किया जिसमें उसे काफीप्रशंसा मिली। नृत्य में आगे बढऩे के लिए उसने बहुत मेहनत की। उसकी मेहनत रंग लाई। वर्ष 1926 में अपने अथक प्रयास के बाद उसने ‘मारथा ग्राहम डांस’ नाम की अपनी कम्पनी बनाई। उसने नृत्य पर खूब प्रयोग किए जिससे वह बहुत लोकप्रिय हो गई। उसने नृत्य को अध्यात्म से जोड़ दिया। नृत्य की इस शैली का पश्चिम नृत्य में अभाव था।
मारथा ने नृत्य की कई शैलियां विकसित कीं। इनमें फ्रंटियर, एपलेशन स्प्रिंरिंग, सेराफिक डायलॉग और लैमनरेशन शामिल हैं। ये शैलियां समय के साथ विकसित होती गईं। नृत्य विशेषज्ञ इनमें से अनेक शैलियों को अमरीका के सांस्कृतिक इतिहास की महत्वपूर्ण उपलब्धि मानते हैं। अमरीका में मारथा ऐसी पहली नृत्यांगना थी जिसे व्हाइट हाऊस में नृत्य करने का अवसर प्राप्त हुआ था। उसे देशी और विदेशी अनेक पुरस्कार मिले। मारथा ने जिस नृत्य शैली का आगाज किया, वह आज आधुनिक नृत्य शैली कहलाती है। उसे ‘नृत्य की पिकासी’ कहा जाता है।
मारथा ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से साबित कर दिया कि इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है।