Edited By Lata,Updated: 23 Jan, 2020 10:44 AM
हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है
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हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है और आज ये शुभ तिथि है। कहते हैं कि इस दिन भोलेनाथ के साथ माता पार्वती का पूजन भी किया जाता है। माना जाता है कि जो लोग इस दिन व्रत करते हैं भगवान उनकी हर इच्छा को पूर्ण करते हैं। शास्त्रों में इस दिन बहुत ही खास महत्व बताया गया है, चलिए आगे जानते हैं इसके महत्व के व पूजन बारे में।
महत्व
शास्त्रों में शिवरात्रि पूजन का महत्व बताया गया है। इस व्रत को करके देवी-देवताओं ने मनचाहा वरदान पाया है। भगवान शिव के पूजन के लिए उचित समय प्रदोष काल माना जाता है। शिव पुराण के अनुसार, इस दिन व्रत करके भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं और जीवन की मुश्किलें दूर होती हैं।
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पूजन विधि
मासिक शिवरात्रि वाले दिन सूर्योदय से पहले उठकर, स्नान करें और भगवान शिव का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें।
शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव जी की पूजा करें और उसके लिए शिवलिंग पर जल, घी, दूध, शक्कर, शहद, दही आदि अर्पित करें। बाबा को बेलपत्र, धतूरा आदि भी चढ़ाएं। शिव पूजा करते समय ऊं नम: शिवाय का लगातार जप करें।
शिव पूजा करते समय शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें।
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भगवान शिव का पूजन मां पार्वती के साथ करें। कहते हैं कि दोनों का एक साथ पूजन करने से इस व्रत का फल दोगुना हो जाता है। रात्रि में शिव पूजन करने के बाद भगवान को भोग लगाएं और प्रसाद सब में वितरित करें। इसके साथ ही अगले दिन भगवान शिव की पूजा करें और किसी को दान करने के बाद ही अपना व्रत खोलें।