Matangi Jayanti 2020: लव लाइफ की हर समस्या का अंत करेगा ये मंत्र

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Apr, 2020 11:57 AM

matangi jayanti 2020

शक्ति संगम तंत्र के अनुसार कालांतर में लक्ष्मी-नारायण कैलाश पर्वत पर शंकर-पार्वती से मिलने गये। लक्ष्मी-नारायण अपने साथ शंकर-पार्वती के

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Matangi Jayanti 2020: शक्ति संगम तंत्र के अनुसार कालांतर में लक्ष्मी-नारायण कैलाश पर्वत पर शंकर-पार्वती से मिलने गये। लक्ष्मी-नारायण अपने साथ शंकर-पार्वती के लिए खाने हेतु मिष्ठान ले गए व उन्हें भेंट स्वरूप प्रदान किए। शंकर-पार्वती के मिष्ठान को खाते समय झूठा मिष्ठान नीचे धरती पर गिर गया। जिससे हरित वर्ण वाली दासी ने जन्म लिया जो मातंगी कहलाई।

महाविद्या मातंगी, मतंग मुनि की पुत्री रूप से जानी जाती हैं। देवी का घनिष्ठ सम्बन्ध जूठे भोजन पदार्थों से है, देवी तभी उच्छिष्ट चांडालिनी नाम से विख्यात हैं। मातंगी नील कमल के समान कांति युक्त हैं, तीन नेत्रों से युक्त इनहोने अर्ध चन्द्र को अपने मस्तक पर धारण किया हुआ है। देवी चार भुजाओं से युक्त हैं। दाहिने भुजाओं में वीणा व मानव खोपड़ी धारण करती हैं तथा बायें भुजा में खड़ग व अभय मुद्रा प्रदर्शित करती हैं। देवी के संग सर्वदा तोता पक्षी रहता है तथा ह्रीं बीजाक्षर का जप करता रहता हैं। देवी मातंगी के विशेष पूजन से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है, अभिलाषाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुखों की वृद्धि होती है।

पूजन विधि: घर की उत्तर दिशा में फीरोज़ी रंग का कपड़ा बिछाकर देवी मातंगी का चित्र व यंत्र स्थापित करें। शुद्ध घी का दीप करें, सुगंधित धूप करें, नीले के फूल चढ़ाएं, सिंदूर व काजल से तिलक करें, नारियल का फलाहार चढ़ाएं व गुड तिल से बनी रेवड़ियों का भोग लगाएं। इस विशेष मंत्र को 108 बार जपें। इसके बाद फल व भोग किसी गरीब तो बांट दें।

यदि आपकी लव लाइफ में कोई समस्या चल रही है तो मातंगी जयंती के दिन अवश्य करें इस मंत्र का जाप- ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा॥

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