Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Feb, 2019 12:03 PM
हिंदू पुराणों और ज्योतिष शास्त्र में मौनी अमावस्या का बहुत महत्व माना गया है। धार्मिक दृष्टि से इस खास तिथि पर चुप्पी साध कर यानि मौन रहकर पूर्ण स्नान करने की बात कही गई है। धर्मग्रंथों में अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित है।
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हिंदू पुराणों और ज्योतिष शास्त्र में मौनी अमावस्या का बहुत महत्व माना गया है। धार्मिक दृष्टि से इस खास तिथि पर चुप्पी साध कर यानि मौन रहकर पूर्ण स्नान करने की बात कही गई है। धर्मग्रंथों में अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित है। पितरों के निमित्त तर्पण और दान आदि किया जाता है। मुनि शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है। इस व्रत को मौन धारण करके समापन करने वाले को मुनि पद की प्राप्ति होती है। इस दिन मौन रह कर यमुना, गंगा, मंदाकिनी आदि पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। मन ही मन अपने इष्टदेव, गणेश, शिव, हरि का नाम लेते रहना चाहिए।
अगर चुप रहना संभव नहीं है, तो कम से कम मुख से कटु शब्द न निकालें। जिनकी वृश्चिक राशि दुर्बल है, उन्हें सावधानी से स्नान करना चाहिए। महाभारत में कहा गया है कि माघ मास में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। पद्मपुराण में कहा गया है कि माघ माह में गंगा स्नान करने से विष्णु भगवान बड़े प्रसन्न होते हैं। श्री हरि को पाने का सुगम मार्ग है माघ मास में सूर्योदय से पूर्व किया गया स्नान। इसमें भी मौनी अमावस्या को किया गया गंगा स्नान अद्भुत पुण्य प्रदान करता है।
हमारी काफी ऊर्जा बोलने में नष्ट हो जाती है, इसे बचाने के लिए प्रतिदिन कुछ समय मौन रहना चाहिए। वैदिक काल में विद्वानों द्वारा मौन रहने के फायदे बताए गए हैं। सुबह और शाम को कुछ समय मौन रहने से मानसिक तनाव कम होता है, साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी होता है। दिनभर के कई जरूरी काम मौन रहकर भी किए जा सकते हैं। मन को शांति और ध्यान, पूजा, स्वाध्याय आदि से मानसिक शक्ति मिलती है।
सुबह-सुबह मौन रहने से हमारा मन एकाग्र रहता है और प्रतिदिन के खास कार्यों को हम ठीक से कर पाते हैं। इसके बाद शाम के समय मौन रहने से दिनभर के कार्य से जो मानसिक तनाव उत्पन्न होता है उससे मुक्ति मिलती है, जिससे पारिवारिक जीवन पर बाहरी तनाव का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। इसी वजह से प्रतिदिन सुबह और शाम के समय कुछ समय मौन रहकर मन को एकाग्र करना चाहिए।
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