Edited By ,Updated: 27 Mar, 2017 08:40 AM
पावन पर्व नवरात्रों में दुर्गा मां के नव रूपों की पूजा नौ दिनों तक चलती है। नवरात्र के आरंभ में प्रतिपदा तिथि को
पावन पर्व नवरात्रों में दुर्गा मां के नव रूपों की पूजा नौ दिनों तक चलती है। नवरात्र के आरंभ में प्रतिपदा तिथि को उत्तम मुहूर्त में कलश या घट की स्थापना की जाती है। कलश को भगवान गणेश का रूप माना जाता है जोकि किसी भी पूजा में सबसे पहले पूजनीय है, इसलिए सर्वप्रथम घट रूप में गणेश जी को बैठाया जाता है।
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घट स्थापना और पूजन के लिए महत्वपूर्ण वस्तुएं
मिट्टी का पात्र और जौ के 11 या 21 दाने
शुद्ध साफ की हुई मिट्टी जिसमें पत्थर न हों
शुद्ध जल से भरा हुआ मिट्टी, सोना, चांदी, तांबा या पीतल का कलश
अशोक या आम के 5 पत्ते
कलश को ढकने के लिए मिट्टी का ढक्कन
साबुत चावल, मौली
एक पानी वाला नारियल
पूजा में काम आने वाली सुपारी
कलश में रखने के लिए सिक्के
लाल कपड़ा या चुनरी
खोया मिठाई
लाल गुलाब के फूलों की माला
नवरात्र कलश स्थापना की विधि
कलश स्थापना के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को अच्छे से शुद्ध किया जाना चाहिए। उसके उपरांत एक लकड़ी के पाटे पर लाल कपड़ा बिछा कर उस पर थोड़े से चावल गणेश भगवान को याद करते हुए रख देने चाहिए। जिस कलश को स्थापित करना है उसमें मिट्टी भर कर और पानी डाल कर जौ बो देने चाहिएं, इसी कलश पर रोली से स्वास्तिक और ओम बना कर कलश के मुख पर मोली से रक्षा सूत्र बांध दें। कलश में सुपारी एवं सिक्का डाल कर आम या अशोक के पत्ते रख दें और फिर कलश के मुख को ढक्कन से ढंक दें तथा ढक्कन को चावल से भर दें। पास में ही एक नारियल को लाल चुनरी से लपेट कर रक्षा सूत्र से बांध देना चाहिए। इस नारियल को कलश के ढक्कन पर रखें और सभी देवी-देवताओं का आह्वान करें। अंत में दीपक जला कर कलश की पूजा करें। कलश पर फूल और मिठाइयां चढ़ा दें। अब हर दिन नवरात्रों में इस कलश की पूजा करें।
घटस्थापना शुभ मुहूर्त- 06:37 से 07:48
अवधि-1 घण्टा 11 मिनट
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ- 27 मार्च 2017 को 23:56 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 28 मार्च 2017 को 21:14 बजे
ध्यान रखें
जो कलश आप स्थापित कर रही हैं, वह मिट्टी, तांबा, पीतल, सोना या चांदी का होना चाहिए, भूल से भी लोहे या स्टील के कलश का प्रयोग न करें।