मोक्षदा एकादशी: इस विधि से करें पूजन और व्रत, ये है पारण समय

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Nov, 2017 01:57 PM

mokshadha ekadashi on 30th november

पितरों का उद्घार करने व सभी पातकों का हरण करने के लिए करें मोक्षदा एकादशी का व्रत मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष में किए जाने का विधान है। ये एकादशी मोक्षप्रदायिणी है इसी कारण यह मोक्षदा नाम से प्रसिद्घ है। इस वर्ष यह व्रत 30 नवम्बर को किया जाएगा।...

पितरों का उद्घार करने व सभी पातकों का हरण करने के लिए करें मोक्षदा एकादशी का व्रत मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष में किए जाने का विधान है। ये एकादशी मोक्षप्रदायिणी है इसी कारण यह मोक्षदा नाम से प्रसिद्घ है। इस वर्ष यह व्रत 30 नवम्बर को किया जाएगा। भगवान को एकादशी तिथि परम प्रिय है इसी कारण जो मनुष्य किसी भी मास में आने वाली कृष्ण एवं शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करता है उस पर प्रभु की सदा ही अपार कृपा बनी रहती है। इस एकादशी व्रत के प्रभाव से जहां सभी पापों का नाश हो जाता है वहीं यह व्रत हर प्रकार के पातकों को भी मिटाने वाला है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता के ज्ञान का उपदेश दिया था और अर्जुन ने उस उपदेश के अनुसार ही अपने मन से मोह का त्याग करके कर्म करने की प्रेरणा ली थी। इस दिन यह एकादशी गीता जयंती के रुप में भी मनाई जाती है।


कैसे करें किस का पूजन- इस व्रत को करने से पूर्व मन में सच्चे भाव से संकल्प करना होगा तथा प्रात: स्नानादि क्रियाओं से निवृत होकर भगवान श्री दामोदर जी का धूप, दीप, नेवैद्य, पुष्प एवं मौसमी फलों से पूजन करें। भगवान को प्रसन्न करने के लिए तुलसी मंजरियों के साथ पूजन करना अति उत्तम है। सारा दिन उपवास करना चाहिए तथा अपना समय प्रभु नाम संकीर्तन एवं हरि चर्चा में व्यतीत करना चाहिए। व्रत में फलाहार करें तथा भगवान को भी फलों का भोग लगाएं। एकादशी की रात्रि को मंदिर में जहां दीपदान करना चाहिए वहीं रात्रि जागरण करने से प्रभु बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।


व्रत में क्या करें- श्रीमद भगवद गीता का पाठ करते हुए उनका चिंतन व मनन करें, पितरों के निमित्त उनकी प्रिय वस्तुओं का दान संकल्प करके ब्राह्मणों को दक्षिणा सहित दें। रात को मंदिर में दीपदान करें तथा तुलसी पूजन करें। यह एकादशी वीरवार को है इसलिए पीले रंग की वस्तुओं के दान का अधिक महत्व है।


क्या कहते हैं विद्वान-  अमित चड्डा जी का कहना है कि भगवान श्री कृष्ण ने मोक्षदा एकादशी के दिन ही महाभारत युद्घ में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। श्रीमद्भगवद्गीता के18 अध्यायों में से पहले 6 अध्यायों में कर्मयोग, अगले 6 में ज्ञानयोग और अगले 6 में भक्तियोग का उपदेश है। जो आज भी सभी के लिए उपयुक्त है। मोक्षदा एकादशी भी कर्म करने की प्रेरणा देती है तथा ज्ञान योग से मनुष्य को ज्ञान की प्राप्ति होती है तथा कर्म और ज्ञान से भक्ति योग अर्थात प्रभु की प्राप्ति होती है। इसलिए मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को भक्ति प्राप्त होती है तथा जिसे भक्ति मिल जाए उसे फिर किसी वस्तु की कोई कमी नहीं रहती।


श्री चड्डा ने कहा कि व्रत का पारण भी निश्चित समय में किया जाना चाहिए तथा इस एकादशी के व्रत का पारण 1 दिसम्बर को प्रात: 9.39 से पहले करना चाहिए।

वीना जोशी
veenajoshi23@gmail.com

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!