Edited By ,Updated: 19 May, 2017 10:28 AM
जीवन में आपका लक्ष्य सहजता होना चाहिए। तनावग्रस्त शरीर मन और बुद्धि को भी तनाव में ला देता है।
जीवन में आपका लक्ष्य सहजता होना चाहिए। तनावग्रस्त शरीर मन और बुद्धि को भी तनाव में ला देता है। आपके पूरे जीवन को कई स्तरों पर प्रभावित करता है। जब आप प्रेम और शांति के साथ आगे बढ़ते हैं तो नई ऊंचाइयों को पाते हैं। अपने जीवन में हमें आज के और अभी के पल में आनंद के बारे में सोचना चाहिए। इसी क्षण के आनंद को जीना चाहिए न कि बीते हुए कल के बारे में सोचते हुए अपने जीवन को चिंता में गुजारना चाहिए। हमें हर छोटी चीज या छोटी बात में आनंद खोजने का प्रयास करना चाहिए।
माना कि प्रतिरोध या लड़ाई भी जीवन का ही हिस्सा है लेकिन जीवन इसी में न बीत जाए। उदाहरण के लिए अगर आपका सामना एक सांप से हो जाता है तो उससे उलझकर अपना नुक्सान कर लेते हैं लेकिन अगर आप सतर्क और सहज हैं तो आपको सांप के साथ छेड़छाड़ या उलझने की जरूरत ही नहीं है बल्कि आप उसे चुपचाप निकल जाने देंगे। केवल तभी लड़ें जब उसकी बहुत जरूरत हो।
दूसरों के प्रति प्रेम और स्नेह किस तरह हमारे जीवन को अप्रत्याशित तरीके से बदल देता है उसकी एक छोटी-सी कथा है। एक स्त्री एक संन्यासी के पास पहुंची और कहने लगी, ‘‘मेरी सास ने मेरा जीवन नरक बना दिया है। क्या आप मुझे कुछ ऐसी दवा दे सकते हैं जिससे मैं उन्हें मार सकूं।’’
संन्यासी ने उसे एक दवा देते हुए कहा कि उसे चाय में मिला देना मगर उन्हें दवा देते हुए बहुत शांति और प्रेम के साथ उनसे बर्ताव करना, उनके न रहने पर कोई तुम पर शक भी नहीं करेगा। दो महीने बाद वह चुपचाप इस दुनिया से विदा ले लेंगी। वह स्त्री दवा लेकर आ गई। एक महीने बाद वह फिर से संन्यासी के पास पहुंची और बोली, ‘‘मैं नहीं चाहती कि मेरी सास मर जाए, अब वह बदल गई हैं, मेरे प्रति बहुत उदार हो गई हैं।’’
संन्यासी ने कहा, ‘‘यह दवा कुछ और नहीं बस हाजमे का चूर्ण था। इससे ज्यादा तुम्हारे प्रेम ने उन पर असर किया है।’’
इसलिए आप जो भी करते हैं उसे पूरे प्रेम के साथ करें और फिर इस प्रेम का प्रभाव देखें। आपका समर्पण और प्रेम आपको ऊंचाई पाने में मदद करेगा और दूसरों को भी सदाशय बनाएगा। प्रेम की शक्ति ही ईश्वर है।