Mother's day: मां ही मनुष्य की प्रथम गुरु

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 May, 2020 09:52 AM

mothers day 2020

बंगाल प्रांत के कलकत्ता शहर में श्री विश्वनाथ दत्त अधिवक्ता थे। वह घोड़ा-गाड़ी से न्यायालय आते-जाते थे। उन दिनों घोड़ा-गाड़ी आवागमन का मुख्य और प्रतिष्ठित साधन था। घोड़ा-गाड़ी चलाने वाला सारथी अपनी

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Mothers day 2020: बंगाल प्रांत के कलकत्ता शहर में श्री विश्वनाथ दत्त अधिवक्ता थे। वह घोड़ा-गाड़ी से न्यायालय आते-जाते थे। उन दिनों घोड़ा-गाड़ी आवागमन का मुख्य और प्रतिष्ठित साधन था। घोड़ा-गाड़ी चलाने वाला सारथी अपनी वेशभूषा और हाथ में चाबुक से रौबदार जान पड़ता था तथा बालकों के कौतूहल का विषय होता था।

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एक दिन विश्वनाथ जी ने अपने पुत्र नरेन्द्र नाथ से सहज ही पूछा कि तुम बड़े होकर क्या बनोगे? बालक नरेन्द्र भी अन्य बालकों की तरह सारथी के रौब से प्रभावित था, अत: उसने तत्काल उत्तर दिया, ‘‘मैं सारथी बनना चाहता हूं।’’

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उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया और चुप रहे। नरेन्द्र की मां ने बच्चे की बात को गंभीरता से लिया। उन्हें नरेन्द्र का यह विचार बहुत अच्छा लगा। वह बाल मन में भारतीय संस्कृति के उच्चादर्श स्थापित करना चाहती थी। मां नरेन्द्र को घर के दीवान खाने में लगे चित्र के सामने लेकर गई और सारथी कृष्ण की ओर संकेत करते हुए कहा, ‘‘तू इनके जैसा सारथी बन।’’

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उक्त चित्र में महाभारत काल में अर्जुन का रथ पांडव और कौरव सेना के मध्य खड़ा था और सारथी कृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश दे रहे थे।

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आगे चल कर वही बालक नरेन्द्र स्वामी विवेकानंद के रूप में भारतीय संस्कृति का सारथी बना। इसलिए हमारी संस्कृति में मनुष्य की प्रथम गुरु मां को ही माना गया है।

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