Edited By Jyoti,Updated: 05 Jun, 2020 05:28 PM
स्कॉटलैंड के एक निर्धन परिवार में एक बालक ने जन्म लिया। उसके पिता छोटा-सा खोमचा लेकर शहर भर में फेरी लगाया करते थे और मां घर पर केक बनाकर सड़क की नुक्कड़ पर बेचती थीं।
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स्कॉटलैंड के एक निर्धन परिवार में एक बालक ने जन्म लिया। उसके पिता छोटा-सा खोमचा लेकर शहर भर में फेरी लगाया करते थे और मां घर पर केक बनाकर सड़क की नुक्कड़ पर बेचती थीं। होश संभालने के बाद धीरे-धीरे बालक को यह एहसास हो गया कि इस गरीबी में यहां रहते हुए उसका किसी भी तरह से विकास नहीं हो सकता।
आखिर एक दिन वह घर वालों को बिना कुछ बताए अमरीका चला गया। वहां उसे एक इस्पात कम्पनी में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद का काम मिल गया। उस कम्पनी में काम ज्यादा नहीं था। जब घंटी बजती, वह मैनेजिंग डायरैक्टर के सामने हाजिर हो जाता और काम पूरा करके कैबिन के बाहर बैंच पर बैठ जाता। उसे बेकार समय गुजारना अच्छा नहीं लगता था इसलिए मैनेजिंग डायरैक्टर से उसने यह इजाजत ले ली कि खाली समय में वह उनकी अल्मारी से किताब निकालकर पढ़ेगा और फिर उसे सुरक्षित अल्मारी में रख देगा। अब वहां खाली समय में वह पुस्तकें पढ़ा करता था। एक दिन मीटिंग में उस कम्पनी के डायरैक्टरों में किसी बात पर विवाद होने लगा। वे किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पा रहे थे।
वह चपरासी सारा विवाद सुन रहा था। वह अपने स्थान से उठा और अल्मारी से एक पुस्तक निकाली। उसके एक खास पन्ने को खोलकर उसने डायरैक्टरों की मेज पर रख दिया। उस पन्ने पर उस विवाद का हल दिया हुआ था। यह देखकर सभी ने एक स्वर से उसकी विद्वता को सराहा। उस चपरासी ने उद्देश्यपूर्ण और योजनाबद्ध ढंग से स्वाध्याय करके दिखा दिया कि अध्ययन के बल पर व्यक्ति बड़ी से बड़ी योग्यताएं हासिल कर सकता है। प्रगति के मामले में वह यहीं रुका नहीं रहा। लगन और निरंतर स्वाध्याय से उसने अच्छा-खासा धन भी अर्जित किया। इतिहास में उसे चैरिटी के लिए मशहूर अमरीकी करोड़पति एंड्रयू कार्नेगी के नाम से जाना जाता है।