Edited By Jyoti,Updated: 22 Nov, 2020 05:17 PM
आज सुबह जब मैं मंदिर गया तो देखा एक व्यक्ति मंदिर की सफाई कर रहा था। वह अच्छे से पोछा लगा रहा था और पूरे मंदिर को चमका रहा था। मैं उसका काम देख कर बहुत प्रभावित हुआ। इस तरह रोज उस व्यक्ति को मैंने मंदिर की सफाई करते हुए देखा।
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आज सुबह जब मैं मंदिर गया तो देखा एक व्यक्ति मंदिर की सफाई कर रहा था। वह अच्छे से पोछा लगा रहा था और पूरे मंदिर को चमका रहा था। मैं उसका काम देख कर बहुत प्रभावित हुआ। इस तरह रोज उस व्यक्ति को मैंने मंदिर की सफाई करते हुए देखा। सोचा कि मंदिर प्रशासन ने नया रखा होगा, तभी इतनी अच्छी सफाई कर रहा है। एक दिन मैंने उससे पूछ लिया कि भईया, दिन में अगर वक्त मिलता हो तो हमारे घर भी सफाई करने आ जाया करो। एक हजार रुपए महीना और एक वक्त का भोजन दे दिया करूंगा। बहुत शुक्रिया, पर मेरे पास समय नहीं है, वह बोला और मंदिर से चला गया।
आज मैं मंदिर से घर लौट कर आया तो देखा एक कम्पनी में नौकरी के लिए साक्षात्कार आया हुआ है। अगले दिन साक्षात्कार के लिए जाने से पहले सुबह जल्दी उठकर मंदिर गया फिर उस व्यक्ति को सफाई करते हुए देखा।
मैं साक्षात्कार के लिए लेट हो रहा था इसलिए जल्दी से कम्पनी में पहुंच गया। कम्पनी का दफ्तर देख कर मैं दंग रह गया, दो अभ्यॢथयों के बाद मेरा नाम पुकारा गया, साक्षात्कार कक्ष में पहुंचते ही मैं हैरान रह गया, साक्षात्कार लेने वाला व्यक्ति कोई और नहीं वही मंदिर में सफाई करने वाला व्यक्ति था। मैं उसे देखते ही साक्षात्कार कक्ष से बाहर आने लगा तो, उस व्यक्ति ने मुझे बुलाया और पूछा, ‘‘आप बिना साक्षात्कार दिए क्यों जा रहेे हो?’’
मैं झेंपते हुए बोला, ‘‘माफ कीजिए मैं आपको एक सफाई वाला समझता रहा और आपको अपने घर पर काम पर रखने के लिए कहता रहा, ऐसे में मैं आपके समक्ष कैसे साक्षात्कार दे सकता हूं।’’
उस व्यक्ति ने मुझे कुर्सी पर बैठने के लिए कहा और बोला, ‘‘बेटा हर एक सफाई करने वाला सफाई कर्मचारी हो ऐसा जरूरी नहीं। सफाई करना और रखना देश के हर जन का धर्म होना चाहिए। —अतुल कुमार