ज्ञान रहित भक्ति से पनपता है अंधविश्वास

Edited By Jyoti,Updated: 15 Jun, 2019 10:34 AM

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एक व्यक्ति के पास भालू था, जो हर समय अपने स्वामी के साथ रहता। एक दिन दूसरे गांव में जाते हुए वह व्यक्ति साथ में भालू को भी ले गया। रास्ते में थकान होने पर वह व्यक्ति एक पेड़ के नीचे आराम करने लेट गया।

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एक व्यक्ति के पास भालू था, जो हर समय अपने स्वामी के साथ रहता। एक दिन दूसरे गांव में जाते हुए वह व्यक्ति साथ में भालू को भी ले गया। रास्ते में थकान होने पर वह व्यक्ति एक पेड़ के नीचे आराम करने लेट गया। तभी उसकी आंख लग गई और उसको नींद आ गई। भालू अपने स्वामी की रक्षा के लिए पास बैठ गया, जिससे कोई जानवर उसके स्वामी को कोई नुक्सान न पहुंचा पाए। 
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भालू ने देखा कि एक मक्खी बार-बार उसके स्वामी के मुंह पर उड़कर उसे परेशान कर रही है। भालू ने मक्खी को कई बार उड़ाया लेकिन मक्खी बार-बार व्यक्ति के चेहरे पर आ जाती। स्वामी की नींद में रुकावट डालती हुई मक्खी पर भालू को गुस्सा आ गया। अब भालू मक्खी को मारने के लिए प्लानिंग करने लगा। उसने सोचा कि जब यह मक्खी इस बार आए तो क्यों न इसको बड़े पत्थर से मार दिया जाए। 
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भालू ने पास ही पड़ा एक बड़ा पत्थर उठाया और जैसे ही मक्खी उस व्यक्ति के मुंह पर बैठी, तभी भालू ने जोर से पत्थर मक्खी को मारा। मक्खी तो उड़ गई, लेकिन वह पत्थर उस व्यक्ति के सिर पर लगा जिससे उसकी मौत हो गई। भालू अपने स्वामी का भक्त तो था, लेकिन उसमें भक्ति के साथ-साथ ज्ञान नहीं था, वह अज्ञानी भक्त था। अगर वह ज्ञानी भक्त होता, तो अपने स्वामी को न मारता। निष्कर्ष-भक्ति सहित ज्ञान और ज्ञान सहित भक्ति ही साधक को ऊंचाइयों पर ले जाती है। भक्ति रहित ज्ञान अहंकार पैदा करता है और ज्ञान रहित भक्ति अंधविश्वास को जन्म देती है।
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