सच्चा आर्य वहीं है जिसका ह्रदय में सेवा और करुणा

Edited By Jyoti,Updated: 25 Jul, 2020 12:52 PM

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सन् 1896 में मध्य प्रांत के बिलासपुर, जबलपुर आदि क्षेत्र में सूखे के कारण भीषण अकाल पड़ा। लाखों व्यक्ति तथा गाय-बैल अकाल से प्रभावित हुए। ह

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सन् 1896 में मध्य प्रांत के बिलासपुर, जबलपुर आदि क्षेत्र में सूखे के कारण भीषण अकाल पड़ा। लाखों व्यक्ति तथा गाय-बैल अकाल से प्रभावित हुए। हजारों व्यक्ति भूख से छटपटा कर काल के गाल में समा गए। असंख्य बच्चे अनाथ हो गए। महान देशभक्त लाला लाजपतराय कार्यकर्ताओं  को साथ लेकर पंजाब से मध्य भारत पहुंच गए। वे अकाल पीड़ितों की  सेवा में जुट गए। उन्होंने देखा कि कुछ अंग्रेज मिशनरी अनाथ बच्चों को चर्चों में पहुंचा रहे हैं। 
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एक स्थान पर कुछ विदेशी मिशनरियों को उन्होंने पीड़ितों  का धर्मांतरण करते हुए देखा तो उन्हें भारी आघात लगा। अनाथ बच्चों के आंसू देखकर लाला जी का हृदय कराह उठा। उन्होंने उसी समय ‘आर्य अनाथालयों’ की स्थापना का संकल्प लिया। उन्होंने अकाल पीड़ित क्षेत्रों से अढ़ाई सौ अनाथ बच्चे इक कराए। उन्हें अपने साथ लाहौर ले गए। वहां आर्य अनाथालय की स्थापना कर उनके लालन-पालन की व्यवस्था कराई।
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सन् 1905 में हिमाचल के कांगड़ा क्षेत्र में भीषण भूकंप आया तो लाला जी ने आर्य समाज को प्रेरित कर हजारों कार्यकत्र्ताओं को भूकंप पीड़ितों की सेवा-सहायता के लिए भेजा। लाला लाजपतराय जी कहा करते थे, ‘‘आर्य का अर्थ श्रेष्ठ होता है तथा वही व्यक्ति सच्चा आर्य है जिसके हृदय में सेवा तथा करुणा की भावना है।’’  —शिव कुमार गोयल

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