धर्म तथा संस्कृति के लिए समर्पित किया स्वामी रामतीर्थ ने अपना जीवन

Edited By Jyoti,Updated: 18 Aug, 2020 11:30 AM

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स्वामी रामतीर्थ भारतीय संस्कृति तथा अध्यात्म के प्रचार के लिए पानी के जहाज से अमरीका जा रहे थे।

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स्वामी रामतीर्थ भारतीय संस्कृति तथा अध्यात्म के प्रचार के लिए पानी के जहाज से अमरीका जा रहे थे। जहाज में उनकी साधना तथा विद्वत्ता से अनेक यात्री प्रभावित हुए। जब जहाज सानफ्रांसिस्को के नजदीक पहुंचा तो यात्री अपना-अपना सामान समेटने लगे। स्वामी रामतीर्थ निश्चिंत हुए समाधि में लीन थे। स्वामी जी की शांत मुद्रा को देख कर अमरीकन यात्री मि. हिल्लर ने उनसे कहा, ‘‘स्वामी जी आपका बिस्तर आदि कहां हैं?’’
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स्वामी जी ने उत्तर दिया, ‘‘यह चादर तथा थैला ही मेरा सामान है।’’

‘‘स्वामी जी सानफ्रांसिस्को में आपके कोई मित्र होंगे जिनके यहां आप ठहरेंगे?’’ 

मि. हिल्लर ने प्रश्र किया। स्वामी जी ने मिस्टर हिल्लर के कंधे पर हाथ रखकर कहा, ‘‘आप ही तो मेरे मित्र हैं, जिनके यहां मुझे ठहरना है।’’
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इन शब्दों ने जादू का काम किया तथा मिस्टर हिल्लर उन्हें अपने साथ अपनी कोठी में ले गए। उनके लिए शुद्ध शाकाहारी भोजन की व्यवस्था की। उनके प्रवचनों के आयोजन की वह निरंतर व्यवस्था करते रहे। अंत में वे स्वामी जी के विचारों से प्रभावित होकर भारत तथा हिन्दू धर्म के प्रति अनन्य निष्ठा रखने लगे। उन्होंने अपना जीवन धर्म तथा संस्कृति के लिए समर्पित कर दिया।

—शिव कुमार गोयल 

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