Edited By Jyoti,Updated: 27 Sep, 2020 05:50 PM
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
जम्मू-कश्मीर के महाराजा प्रताप सिंह प्राय: वेश बदल कर घोड़े पर सवार होकर गांवों में पहुंच जाते थे। वह गरीबों और असहायों को चुपचाप वस्त्र व अन्न उपलब्ध कराते थे।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
जम्मू-कश्मीर के महाराजा प्रताप सिंह प्राय: वेश बदल कर घोड़े पर सवार होकर गांवों में पहुंच जाते थे। वह गरीबों और असहायों को चुपचाप वस्त्र व अन्न उपलब्ध कराते थे। एक दिन वह राजमहल से घोड़े पर रवाना हुए। उन्होंने एक गांव के बाहर तालाब के किनारे एक युवक को कराहते देखा तो उसके पास पहुंच कर पूछा, ‘‘तुम्हें क्या तकलीफ है?’’
युवक ने बताया, ‘‘मैं जम्मू की लक्ष्मी महतरानी का दामाद हूं। जम्मू जा रहा था कि अचानक पेट में दर्द होने के कारण यहां पेड़ की छाया में बैठ गया हूं। पत्नी को लेने जम्मू जाना है।’’
महाराजा ने कहा, ‘‘मैं भी जम्मू जा रहा हूं। मेरे साथ चलो, घर पहुंचा दूंगा।’’ उसे घोड़े पर बिठाया तथा उसकी लगाम पकड़ कर ले चले। कुछ ही देर में लक्ष्मी के घर जा पहुंचे। लक्ष्मी ने जैसे ही महाराजा को लगाम पकड़े देखा, वह हत्प्रभ रह गई।
महाराजा ने मुस्कुराकर कहा, ‘‘अरे यह तुम्हारा ही नहीं, हमारा भी तो दामाद हुआ।’’
उन्होंने अपनी उंगली से अंगूठी उतारी तथा उपहार में दे दी। —शिव कुमार गोयल