Edited By Jyoti,Updated: 11 Feb, 2021 05:52 PM
लोहे की दुकान में अपने पिता के साथ काम कर रहे एक बालक ने अचानक ही अपने पिता से पूछा, ‘‘पिता जी, इस दुनिया में मनुष्य की क्या कीमत होती है?’’
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*आप क्या है इस पर नहीं, क्या बन सकते हैं इस पर करें काम
लोहे की दुकान में अपने पिता के साथ काम कर रहे एक बालक ने अचानक ही अपने पिता से पूछा, ‘‘पिता जी, इस दुनिया में मनुष्य की क्या कीमत होती है?’’
पिता जी एक छोटे से बच्चे से ऐसा गंभीर सवाल सुन कर हैरान रह गए। वह बोले, ‘‘बेटा, एक मनुष्य की कीमत आंकना बहुत मुश्किल है, वह तो अनमोल है।’’
बालक कुछ समझा नहीं, उसने फिर सवाल किया, ‘‘तो फिर इस दुनिया में कोई गरीब तो कोई अमीर क्यों है? किसी को कम सम्मान मिलता है और किसी को ज्यादा क्यों?’’
सवाल सुनकर पिता जी कुछ देर तक शांत रहे और फिर बालक से स्टोर रूम में पड़ा लोहे का एक रॉड लाने को कहा। रॉड लाते ही पिता जी ने पूछा, ‘‘इसकी क्या कीमत होगी?’’ बालक बोला ‘‘200 रुपए।’’
पिता जी ने कहा, ‘‘अगर मैं इसके बहुत से छोटे-छोटे कील बना दूं तो इसकी क्या कीमत हो जाएगी?’’ बालक सोच कर बोला, ‘‘तब तो यह और महंगा बिकेगा, लगभग 1000 रुपए में।’’
पिता जी फिर बोले, ‘‘अगर मैं इस लोहे से घड़ी के बहुत सारे स्प्रिंग बना दूं तो?’’
बालक कुछ देर गणना करता रहा और फिर एकदम से उत्साहित होकर बोला, ‘‘तब तो इसकी कीमत बहुतज्यादा हो जाएगी।’’
फिर पिता जी उसे समझाते हुए बोले, ‘‘ठीक इसी तरह मनुष्य की कीमत इसमें नहीं है कि अभी वह क्या है, बल्कि इसमें है कि वह अपने आपको क्या बना सकता है।’’
बालक अपने पिता की बात समझ चुका था।