परिश्रम करना न छोड़े

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Feb, 2018 05:16 PM

motivational and religious story based on hard work

एक चाट वाला था।जब भी उसके पास कोई चाट खाने जाओ तो ऐसा लगता कि वह उनका ही रास्ता देख रहा हो। हर विषय पर लोगों से बात करने में उसे बड़ा मजा आता था। उसके पास आने वाले ग्राहक उसे बहुत बार कहते कि भाई देर हो जाती है, ज

एक चाट वाला था।जब भी उसके पास कोई चाट खाने जाओ तो ऐसा लगता कि वह उनका ही रास्ता देख रहा हो। हर विषय पर लोगों से बात करने में उसे बड़ा मजा आता था। उसके पास आने वाले ग्राहक उसे बहुत बार कहते कि भाई देर हो जाती है, जल्दी चाट लगा दिया करो लेकिन उसकी बातें खत्म ही न होती। एक दिन अचानक एक व्यक्ति की उसके साथ कर्म और भाग्य पर बात शुरू हो गई। तकदीर और तदबीर की बात सुन उस व्यक्ति ने सोचा कि चलो आज इस बारे में उसकी फिलासफी देख ही लेते हैं यही सोचते हुए उसने चाट वाले से एक प्रश्न कर लिया। 


उस व्यक्ति का उस चाट वाले से सवाल यह था कि आदमी मेहनत से आगे बढ़ता है या भाग्य से, परंतु इस बात पर उस चाट वाले ने उसे जो जवाब दिया उसे सुनकर उसके दिमाग के सारे जाले ही साफ हो गए। उस व्यक्ति ने हां में जवाब दिया तो उस चाट वाले ने कहा की उस लाकर की चाभियां ही इस सवाल का जवाब है। यह सुनकर वह सोच में पढ़ गया, उसने पूछा कैसे तो उसने उससे पूछा कि हर लॉकर की दो चाभियां होती हैं। एक आप के पास होती है और एक मैनेजर के पास।


आप के पास जो चाबी है वह है परिश्रम और मैनेजर के पास वाली भाग्य। जब तक दोनों चाबीयां नहीं लगतीं लाॅकर का ताला खुल नहीं सकता। आप कर्मयोगी पुरुष हैं और मैनेजर भगवान। अाप को अपनी चाबी भी लगाते रहना चाहिए। पता नहीं ऊपर वाला कब अपनी चाभी लगा दे। कहीं ऐसा न हो कि भगवान अपनी भाग्यवाली चाभी लगा रहा हो और हम परिश्रम वाली चाबी न लगा पाएं और ताला खुलने से रह जाए।

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