Edited By Jyoti,Updated: 30 Oct, 2019 10:12 AM
बल्ख (अफगानिस्तान) के शासक इब्राहिम अपना ज्यादातर वक्त खुदा की उपासना में बिताते थे। राजमहल में रहते हुए भी वह भक्ति और साधना में व्यस्त रहते थे।
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बल्ख (अफगानिस्तान) के शासक इब्राहिम अपना ज्यादातर वक्त खुदा की उपासना में बिताते थे। राजमहल में रहते हुए भी वह भक्ति और साधना में व्यस्त रहते थे। एक रात जब वह अपने महल में सो रहे थे तो छत पर किसी के चलने की आहट से उनकी नींद टूट गई। उन्होंने देखा कि छत पर कोई व्यक्ति कुछ खोज रहा था।
उन्होंने आवाज लगाई, ''तुम कौन हो और इस वक्त राजमहल की छत पर क्यों घूम रहे हो? ''
वह व्यक्ति अपने काम में तल्लीन रहा। इब्राहिम गुस्से से बोले, ''मूर्ख, तुम नहीं जानते कि तुम कितना जघन्य अपराध कर रहे हो? हो सकता है तुम्हें सजा-ए-मौत दी जाए।''
वह बोला, ''हुजूर, शायद आप यह तो नहीं पूछ रहे हैं कि इतनी रात मैं यहां क्या कर रहा हूं? मैं यहां अपना ऊंट खोज रहा हूं।''
इब्राहिम ने अपना माथा पीट लिया। शायद ही दुनिया में इससे बड़ा मूर्ख कोई होगा, यह सोचते हुए इब्राहिम बोले, ''ऊंट, वह भी छत पर! तुम्हारा दिमाग तो नहीं फिर गया है।''
इस पर वह शख्स बोला, ''इसमें दिमाग फिरने वाली क्या बात है? आप भी तो ऐशोआराम भरे महल में खुदा को खोजने की कोशिश कर रहे हैं।''
कह कर वह व्यक्ति चला गया। इब्राहिम सन्न खड़े रहे। उसकी बात उन्हें झकझोर रही थी। वह सोचने लगे-वह न तो कोई साधारण व्यक्ति था और न उसकी बात साधारण थी। वाकई राजमहल की विलासिता भरी जिंदगी में खुदा की तलाश का क्या अर्थ है? राजमहल में खुदा की खोज क्या वैसी ही नहीं, जैसी छत पर ऊंट की तलाश।
इब्राहिम का माथा ठनका। उस असाधारण व्यक्ति को खोजने वह दौड़ पड़े। आखिरकार महल से थोड़ी दूरी पर ही वह सड़क पर मिल गया। इब्राहिम उसके चरणों में लोट गए और कहने लगे, ''मुझे अपनी शरण में ले लो।''
वह व्यक्ति थे संत खिज्र। इब्राहिम उनके शिष्य हो गए।