Edited By Jyoti,Updated: 16 Dec, 2019 10:13 AM
एक दिन बुल्लेशाह बाजार से गुजर रहे थे। चौक पर कुछ फकीर खुशी से यूं नाच रहे थे जैसे उनके हाथ कोई खजाना लग गया हो। काफी देर तक तो बुल्लेशाह वहीं खड़े होकर उन फकीरों को देखते रहे।
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एक दिन बुल्लेशाह बाजार से गुजर रहे थे। चौक पर कुछ फकीर खुशी से यूं नाच रहे थे जैसे उनके हाथ कोई खजाना लग गया हो। काफी देर तक तो बुल्लेशाह वहीं खड़े होकर उन फकीरों को देखते रहे। फिर वह एक फकीर के पास पहुंचे और पूछा, ''आप इतने खुश क्यों हैं? क्या कोई खजाना हाथ लगा है?”
फकीर ने कहा, ''हमें पता चल गया है कि हमारा अल्लाह हममें ही है। वही हमारा सबसे बड़ा खजाना है, वही हमारी खुशी है।”
बुल्लेशाह ने सोचा कि खुश तो वह भी रहना चाहते हैं। उन फकीरों से उन्होंने पूछा कि वह खुश कैसे रहें? फकीरों ने उन्हें हजरत इनायत शाह कादरी के बारे में बताया और कहा कि अगर तुम्हें अपना मुर्शिद मिल जाता है तो समझो अल्लाह मिल गया। अब बुल्लेशाह मुर्शिद से मिलने के लिए तड़पने लगे। चौक पर खुशी मनाते उन फकीरों ने जिन हजरत के बारे में बताया था, दरअसल वह जाति से अराई थे जोकि उस इलाके में निम्र जाति मानी जाती थी। मुर्शिद से मिलने की तड़प उन्हें हजरत इनायत शाह कादरी की चौखट पर खींच ले गई। जात-पात से बेपरवाह बुल्लेशाह अक्सर वहां बैठकर ज्ञान चर्चा करते।
इस बात से खफा होकर बुल्लेशाह की बहनें उन्हें समझाने पहुंचीं। बहनें बोलीं, ''तुम तो नबी के खानदान से हो, अली के वंशज हो। क्यों ऐसा काम करते हो, जिससे कि लोग हमारे वंश की निंदा करें?”
इस पर बुल्लेशाह मुस्कुराते हुए बोले, “जो हमें सैयद कहेगा, उसे दोजख की सजा मिलेगी और जो हमें अराई कहेगा, वह स्वर्ग में झूला झूलेगा?”
फिर उन्होंने पूछा, “जो ईश्वर से मिलने का रास्ता बताए, क्या हम उसकी जाति पूछेंगे?”
यह सुनते ही उनकी बहनें रोने लगीं और बोलीं, “आप सही हैं। ईश्वर जात-पात नहीं देखता, तो हमारी क्या बिसात। वे अल्लाह के गुनहगार हैं जो ज्ञान को जात-पात के खांचों में बांटते हैं।”