Edited By Jyoti,Updated: 25 Feb, 2021 05:58 PM
गली में कुछ कुत्ते इकट्ठे हो जाते हैं। भोजन मिल जाता, पेट भर लेते। सायं का समय होता, सब मिलकर आकाश की ओर मुंह करके ऊंची-ऊंची आवाजें निकालते।
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गली में कुछ कुत्ते इकट्ठे हो जाते हैं। भोजन मिल जाता, पेट भर लेते। सायं का समय होता, सब मिलकर आकाश की ओर मुंह करके ऊंची-ऊंची आवाजें निकालते। कई बार गली के लोग वहां से उन्हें भगा देते। वे फिर आ जाते। गली के लोग इन अजीब आवाजों से परेशान हो गए। क्या करें। एक संत गली से गुजरा। वह कुत्तों से प्यार करने लगा। कुत्ते भी दुम हिलाकर चूमने लगे।
संत उनसे बातें करने लगा। कुत्ते भी अपने ढंग से करने लगे। गली के लोगों को यह अजीब तमाशा लगा। उन लोगों ने संत से पूछा कि आप कुत्तों से कैसा व्यवहार करते हैं। वे भी आप से अजीब आवाज में बातें और व्यवहार कर रहे हैं।
संत ने लोगों को समझाया कि आप अपने ढंग से कुदरत को दुख सुनाते हैं। इसी तरह कुत्ते भी अपनी पीड़ा कुदरत को सुनाते हैं कि ‘‘हे परमात्मा! आपने हमें जानवर बनाया है। हम किसी न किसी रूप में पेट भरते हैं। अपनी सुरक्षा भी करते हैं। रात्रि को चैन से परिवार के साथ सो जाते हैं। परिवार की देखभाल भी करते हैं। तुम्हारे कानून के मुताबिक जीवन जीते हैं। इंसान कैसा है जिसको आपने सब कुछ दिया है। अच्छी सोच, समझ, अपने अच्छे-बुरे की पहचान, शक्ति, ऐशो-आराम की जिंदगी। फिर क्यों भूखा है? तुम्हारी धरती को चाट रहा है। विषैलापन छोड़ रहा है।’’
हमारी जिंदगी भी असुरक्षित हो गई है। ऐसा क्यों? इंसान अपने प्रति भी समर्पित नहीं है। फिर आपके भविष्य और आपके स्वर्ग का क्या होगा। हम चिंतित हैं।