Motivational Concept: 'अमृत' के समान है मनुष्य की मधुर वाणी

Edited By Jyoti,Updated: 08 May, 2022 12:50 PM

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गुरु सुबुद्ध का शिष्य था अबुद्ध। बहुत दिनों से उसकी इच्छा थी कि वह अमृत की खोज करे। अपने गुरु से उसने अनेक

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गुरु सुबुद्ध का शिष्य था अबुद्ध। बहुत दिनों से उसकी इच्छा थी कि वह अमृत की खोज करे। अपने गुरु से उसने अनेक बार इसकी चर्चा की, लेकिन उन्होंने कुछ खास नहीं बताया। एक दिन अबुद्ध अमृत की खोज में अपने गुरु को अकेला छोड़कर चुपचाप चला गया। वह पूरी दुनिया में बहुत भटका, लेकिन उसे कहीं भी अमृत नहीं मिला।

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निराश होकर वह अपने गुरु सुबुद्ध के पास आ गया और बोला-‘‘गुरुजी, आप तो कहते थे कि इस दुनिया में अमृत है लेकिन लाख खोजने के बाद भी, अमर होने के लिए मुझे कहीं भी अमृत नहीं मिला।’’ सुबुद्ध मुस्कुराए और बोले, ‘‘शिष्य! दुनिया में अमृत है और वह है तुम्हारे मुख में, तुम्हारी वाणी में।

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मीठी वाणी को ही अमृत कहते हैं। कड़वी वाणी को विष कहते हैं। जिसकी वाणी मीठी होगी वह पूजनीय और अमर हो जाएगा और जिसकी वाणी कड़वी होगी, वह तिरस्कृत होकर विस्मृत हो जाएगा।’’ अबुद्ध  बोला, ‘‘हे गुरुवर मुझे अमृत मिल गया। अब मैं इसकी लालसा में कहीं और नहीं भटकूंगा।’’

 

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