जाति नहीं ह्रदय की निरछलता देखते हैं भगवान

Edited By Jyoti,Updated: 09 Jul, 2020 11:35 AM

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महान संत श्री हरि बाबा चैतन्य महाप्रभु की तरह प्रत्येक प्राणी में भगवान के दर्शन करते थे। गवां (बदायूं) स्थित गंगा बांध के आश्रम से विचरते हुए वह नरौरा गांव पहुंचे।

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महान संत श्री हरि बाबा चैतन्य महाप्रभु की तरह प्रत्येक प्राणी में भगवान के दर्शन करते थे। गवां (बदायूं) स्थित गंगा बांध के आश्रम से विचरते हुए वह नरौरा गांव पहुंचे। बाबा ने निश्छल हृदय भक्त हुलासी के मकान का दरवाजा खटखटाया। हुलासी ने जैसे ही दरवाजा खोला, एक महान संत को सामने खड़ा देखकर वह उनके चरणों में गिर पड़ा। 
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श्री हरि बाबा ने उसे प्रेम से उठाया तथा छाती से लगा लिया। हुलासी ने कहा, ‘‘बाबा आप क्या कर रहे हैं। मैं तो छोटी जाति से हूं। बेपढ़ा-लिखा गंवार हूं। आप मेरा स्पर्श क्यों कर रहे हैं।’’ 

श्री हरि बाबा बोले, ‘‘हुलासी तुम जैसे निष्कपट व  सेवा भावी भक्त ऊंची कही जाने वाली जातियों में भी बिरले ही मिलते हैं। भगवान जाति के आधार पर नहीं, हृदय की निश्छलता देखकर कृपा करते हैं। मैं तो तुम्हारे हृदय में भगवान कृष्ण के दर्शन कर रहा हूं।’’ 

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श्री हरि बाबा के ये शब्द सुनते ही हुलासी की आंखें नम हो उठीं।    —शिव कुमार गोयल

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