इटली के सुविख्यात संत श्री अलफांसस लिग्योरी युवास्था में वकालत करते थे। न्यायालय में जब वे अपने मुवक्किल के पक्ष में दलीलें देकर बहस करते थे त
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इटली के सुविख्यात संत श्री अलफांसस लिग्योरी युवास्था में वकालत करते थे। न्यायालय में जब वे अपने मुवक्किल के पक्ष में दलीलें देकर बहस करते थे तब न्यायाधीश तथा अन्य उपस्थित जन उनकी तर्कशैली को देखकर हत्प्रभ रह जाते थे।
एक दिन वे न्यायालय में अपने मुवक्किल के पक्ष में पैरवी कर रहे थे। मुवक्किल ने उनसे एक ऐसा तथ्य छिपाया था, जिसके आधार पर वह दोषी सिद्ध होता था। दूसरे पक्ष के वकील ने कहा, ‘‘माननीय अलफांसस महोदय बहस करते समय यदि इस तथ्य का अवलोकन कर लें तो शायद उनकी आत्मा उन्हें स्वत: सत्यता का आभास दिलाने में सफल होगी।’’
श्री अलफांसस उस तथ्य को जानते ही समझ गए कि वे असत्य और अनीति की वकालत कर रहे हैं। उन्होंने वकालत का चोला शरीर से उतारा और न्यायाधीश से बोले, ‘‘सर मैं इस झूठ की दुनिया को तिलांजलि देता हूं। मैं तर्कशैली के बल पर अपराधी को निरपराध तथा निरपराध को अपराधी बताने का अनैतिक कार्य कभी नहीं कर सकता।’’
उन्होंने उसी दिन से अपना जीवन ईश्वर की आराधना तथा सेवा कार्यों में लगाने का संकल्प ले लिया। —शिव कुमार गोयल
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