Edited By Jyoti,Updated: 20 Feb, 2021 08:00 PM
हैरी कार्डवेल सच्चा क्रिश्चियन था। व्यावहारिक ज्ञान की भी उसमें कोई कमी न थी। बाइबल की शिक्षाओं को पूरी तरह जानता था। इसे लोगों तक पहुंचाने की भी उसमें बड़ी क्षमता थी।
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हैरी कार्डवेल सच्चा क्रिश्चियन था। व्यावहारिक ज्ञान की भी उसमें कोई कमी न थी। बाइबल की शिक्षाओं को पूरी तरह जानता था। इसे लोगों तक पहुंचाने की भी उसमें बड़ी क्षमता थी। महाप्रभु ईसा के प्रति अगाध श्रद्धा थी उसमें।
जार्जिया के पिछड़े क्षेत्रों में काम करने के लिए उसे ‘पादरी’ नियुक्त कर दिया गया। वह अपने कार्यों में लग गया। लोगों में रहते हुए उसने पाया कि वहां के लोग रूढि़वादी हैं। वे पूरी तरह स्वार्थी भी हैं। जब तक उनके दिल और दिमाग से ये दोनों अवगुण दूर नहीं कर लिए जाते, उनके जीवन में बाइबल की शिक्षाओं को स्थापित करना तथा इन्हें व्यवहार में लाना कठिन था।
हैरी कार्डवेल जब इस निष्कर्ष पर पहुंचा तो उसने अपने काम को लोगों तक पहुंचाने का तरीका ही बदल दिया। उसने धर्म-प्रचार तो किया ही, साथ ही उन्हें नागरिकता के प्राथमिक कर्तव्यों की भी जानकारी दी। हर बात को विवेक की कसौटी पर परखने की सलाह दी। रूढि़वादिता से ऊपर उठने की शिक्षा दी।
धर्म उपदेशक हैरी कार्डवेल ने ईसाई धर्म के अनुयायी भले ही कम बनाए हों मगर उनमें मानवीय कर्तव्यों को समझने तथा इनका पालन करने की जो अलख जगा दी, उसकी सर्वत्र प्रशंसा होने लगी। उसके द्वारा किए इस पुनीत कार्य को जार्जिया के लोग कभी भुला नहीं पाएंगे। उन्हें स्वार्थपरता से दूर हटने का अवसर मिला। रूढि़वादिता से भी ऊपर उठते गए वे लोग।