Edited By Jyoti,Updated: 03 Mar, 2021 02:08 PM
मोहन एक अच्छे परिवार से था। बचपन से हंसोड़ था। स्कूल के साथियों से भी खूब हंसी-मजाक किया करता। रोतों को हंसा देता। लोगों की जिंदगी में खुशियों को भरने से उसे आनंद मिलता था।
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मोहन एक अच्छे परिवार से था। बचपन से हंसोड़ था। स्कूल के साथियों से भी खूब हंसी-मजाक किया करता। रोतों को हंसा देता। लोगों की जिंदगी में खुशियों को भरने से उसे आनंद मिलता था। दोस्तों को कहता कि ‘‘तुम्हें पता है कि परमात्मा दुख देता है तो सुख भी देता है। लोग इसी कारण अच्छा काम करते हैं। गरीबों की सहायता करते हैं।’’ अच्छी और हंसी भरी जिंदगी मिल जाती है। इस तरह सब उसे जोकर कह देते। मोहन और जोर से हंस पड़ता। उसे देखकर साथी भी हंस पड़ते।
मोहन कहता देखो। ऐसे हंसते रहा करो। यही तो जिंदगी है। बूढ़े, नौजवान, रूठों से बातें करना। उनके दुख-दर्द को बांट लेना, बोझ हल्का कर देता है। सबको खुशी मिलती रहे। रोने से समस्याओं का हल नहीं निकलता बल्कि प्यार और सहनशीलता से निकलता है।
दो पल हंसने से जिंदगी खूबसूरत हो जाती है। दूसरों के दुख हर लें। जिंदगी मुस्कुराहट है जिस तरह फूलों में खुशबू। जिंदगी भी मुरझा जाती है। पत्ते जब झड़ जाते हैं। जिंदगी भी फूलों का एक गुलदस्ता है।
समाज की बगिया खुशियों से भरी रहती है। एक बार हंस कर तो देखो, कहोगे कि ‘‘जिंदगी में एक हंसी है। अचानक दुर्घटना हो गई। मोहन की मृत्यु हो गई लेकिन लोग हैरान थे, उसका चेहरा मुस्कुरा रहा था।