Motivational Concept: आचरण के विकास के लिए विचारों को बदलना भी ज़रूरी

Edited By Jyoti,Updated: 02 Apr, 2021 05:34 PM

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स्वामी रामतीर्थ एक बार जापान गए। जब वे सम्राट बाग देखने गए तो उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि डेढ़-दो सौ वर्ष पुराने चिनार के वृक्षों की

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स्वामी रामतीर्थ एक बार जापान गए। जब वे सम्राट बाग देखने गए तो उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि डेढ़-दो सौ वर्ष पुराने चिनार के वृक्षों की ऊंचाई एक-दो फुट के बराबर थी। रामतीर्थ सोचने लगे-‘‘क्या कारण है कि ये वृक्ष अत्यधिक पुराने होने के बावजूद सौ-दो सौ फुट ऊंचे न होकर एक-दो फुट के ही हैं।’’ 

जब वहां के माली को उनकी समस्या मालूम पड़ी तो वह  बोला कि आप लोग केवल वृक्ष को देखते हैं, जबकि माली उसकी जड़ों को देखता है।

हम इन वृक्षों की जड़ों को बढऩे ही नहीं देते, उन्हें काटते रहते हैं। जड़ें कटने से वृक्ष ऊपर नहीं बढ़ सकता क्योंकि जड़ें जितनी गहरी जाएंगी, वृक्ष उतना ही ऊपर बढ़ेगा। वास्तव में वृक्ष के प्राण ऊपर नहीं जमीन में समाई जड़ों में होते हैं।

यह सुन स्वामी रामतीर्थ सोचने लगे कि हम मनुष्यों का भी यही हाल है। हमें किसी का व्यक्तित्व और आचरण तो दिखाई देता है, किंतु उसके विचार नहीं दिखाई देते। वास्तव में उसके आचरण की जड़ें उसके विचारों में ही होती हैं। यदि सुविचारों की जड़ें काट डाली जाएं तो वह व्यक्ति विचारहीन हो जाएगा और ऐसा मनुष्य आचरण से भी पंगु बन जाएगा।

हमने अपने विचारों के तल पर मानो आत्मघात कर लिया है, यही कारण है कि हमारे व्यक्तित्व का कल्पवृक्ष सूखकर ठूंठ हो गया है और लोग यह दुराशा लगाए रहते हैं कि यह ठूंठ फिर से हरा-भरा होकर फल-फूल और छाया देगा। किंतु यह उनका भ्रम है। उन्हें अपने विचारों को ही बदलना चाहिए।

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