Edited By Jyoti,Updated: 03 Apr, 2021 06:08 PM
सरदार वल्लभ भाई पटेल अदालत में एक मुकद्दमे की पैरवी कर रहे थे। मामला बहुत गंभीर था।
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सरदार वल्लभ भाई पटेल अदालत में एक मुकद्दमे की पैरवी कर रहे थे। मामला बहुत गंभीर था। थोड़ी-सी लापरवाही भी उनके क्लाइंट को फांसी की सजा दिला सकती थी। सरदार पटेल जज के सामने तर्क दे रहे थे। तभी एक व्यक्ति ने आकर उन्हें एक कागज थमाया। पटेल जी ने उस कागज को पढ़ा।
एक क्षण के लिए उनका चेहरा गंभीर हो गया लेकिन फिर उन्होंने उस कागज को मोड़ कर जेब में रख लिया।
मुकद्दमे की कार्रवाई समाप्त हुई। सरदार पटेल के प्रभावशाली तर्कों से उनके क्लाइंट की जीत हुई। अदालत से निकलते समय उनके एक साथी वकील ने पटेल जी से पूछा कि कागज में क्या था? तब सरदार पटेल ने बताया कि वह मेरी पत्नी की मृत्यु की सूचना का तार था। साथी वकील ने आश्चर्य से कहा कि इतनी बड़ी घटना घट गई और आप बहस करते रहे।
सरदार पटेल ने उत्तर दिया, ‘‘उस समय मैं अपना कर्त्तव्य पूरा कर रहा था। मेरे क्लाइंट का जीवन मेरी बहस पर निर्भर था। मेरी थोड़ी सी अधीरता उसे फांसी के तख्ते पर पहुंचा सकती थी। मैं उसे कैसे छोड़ सकता था? पत्नी तो जा ही चुकी थी। क्लाइंट को कैसे जाने देता?’’
ऐसे दृढ़ चरित्र व चरित्रनिष्ठा के कारण ही वह लौहपुरुष कहे जाते हैं।