Edited By Jyoti,Updated: 15 Apr, 2021 01:15 PM
किसी गांव में एक ऋषि रहते थे। लोग उनके पास अपनी कठिनाइयां लेकर आते थे और ऋषि उनका मार्गदर्शन करते थे। एक दिन एक व्यक्ति, ऋषि के पास आया और उनसे पूछा
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किसी गांव में एक ऋषि रहते थे। लोग उनके पास अपनी कठिनाइयां लेकर आते थे और ऋषि उनका मार्गदर्शन करते थे। एक दिन एक व्यक्ति, ऋषि के पास आया और उनसे पूछा, ‘‘गुरुदेव हमेशा खुश रहने का राज क्या है?’’ ऋषि ने उससे कहा कि तुम मेरे साथ जंगल में चलो, मैं तु हें खुश रहने का राज बताता हूं।
ऐसा कहकर ऋषि और वह व्यक्ति जंगल की तरफ चलने लगे। रास्ते में ऋषि ने एक बड़ा-सा पत्थर उठाया और उस व्यक्ति से कहा इसे लेकर चलो। उस व्यक्ति ने पत्थर को उठाया और वह ऋषि के साथ-साथ जंगल की तरफ चलने लगा।
कुछ समय बाद उस व्यक्ति के हाथ में दर्द होने लगा लेकिन वह चुप रहा और चलता रहा। लेकिन जब चलते हुए बहुत समय बीत गया और उस व्यक्ति से दर्द सहा नहीं गया तो उसने ऋषि से कहा कि उसे दर्द हो रहा है। तो ऋषि ने कहा कि इस पत्थर को नीचे रख दो। पत्थर को नीचे रखने पर उस व्यक्ति को बड़ी राहत महसूस हुई।
तभी ऋषि ने कहा, ‘‘यही है खुश रहने का राज।’’
व्यक्ति ने कहा, ‘‘गुरुवर मैं समझा नहीं।’’
ऋषि बोले जिस तरह इस पत्थर को एक मिनट तक हाथ में रखने पर थोड़ा-सा दर्द होता है और अगर इसे एक घंटे तक हाथ में रखें तो थोड़ा ज्यादा दर्द होता है और अगर इसे और ज्यादा समय तक उठाए रखेंगे तो दर्द बढ़ता जाएगा, उसी तरह दुखों के बोझ को जितने ज्यादा समय तक उठाए रखेंगे उतने ही ज्यादा हम दुखी और निराश रहेंगे। यह हम पर निर्भर करता है कि हम दुखों के बोझ को एक मिनट तक उठाए रखते हैं या जिंदगी भर। अगर तुम खुश रहना चाहते हो तो दुख रूपी पत्थर को जल्दी से जल्दी नीचे रखना सीख लो और हो सके तो उसे उठाओ ही नहीं।