Edited By Jyoti,Updated: 23 Apr, 2021 12:29 PM
अमरीका के पश्चिमी किनारे पर समुद्र में जहाज तीव्रगति से चला जा रहा था। किसको मालूम था कि थोड़ी ही देर में मौसम परिवर्तन से जहाज को बचाना कठिन हो जाएगा। बातों ही बातों में
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अमरीका के पश्चिमी किनारे पर समुद्र में जहाज तीव्रगति से चला जा रहा था। किसको मालूम था कि थोड़ी ही देर में मौसम परिवर्तन से जहाज को बचाना कठिन हो जाएगा। बातों ही बातों में तूफान आ गया और जहाज के टूट जाने से उसमें बैठे अनेक खलासी समुद्र में डूबने लगे। जो अच्छी तरह तैरना जानते थे, उनके प्राण बचने की तो कुछ आशा भी की जा सकती थी, पर जिन्होंने अभी हाथ-पैर चलाना ही सीखा था, वह समुद्र में तैरकर किनारे तक आ सकेंगे, यह किसी को विश्वास न था।
उस जहाज पर एक हब्शी गुलाम भी था। वह तुरन्त अथाह जल में कूद पड़ा। उसने अपने प्राणों की तनिक भी ङ्क्षचता न की। उसने सोचा कि मनुष्य भी यदि अपने साथी के संकट में सहयोगी न बन सके तो फिर क्या पशु-पक्षी उसकी सहायता करने आएंगे? एक बार उसके मन में आया, क्यों अपने जीवन को जान-बूझकर इस संकट में डाला जाए। पर तुरन्त ही उसका विवेक बोल उठा, ‘‘यदि दूसरों की सहायता के प्रयत्न में अपने जीवन को खतरे में डालना पड़े, फिर भी चिंता न करनी चाहिए।’’
और एकदम वह पानी में कूद पड़ा। अपने कठोर परिश्रम से वह पांच खलासियों को जीवित बचाने में सफल हो गया। अब उसका शरीर थक कर चूर-चूर होने लगा था। छठी बार वह कूदना चाहता था कि जहाज का कप्तान बोल उठा, ‘‘बस भाई, तुमने कमाल कर दिया। जाओ, अब तुम मुक्त हुए।’’
‘‘मेरी मुक्ति को अभी थोड़ी देर और प्रतीक्षा कर लेने दो, तब तक मैं एक व्यक्ति की और जान बचाता हूं।’’
इतना कह कर वह गुलाम फिर पानी में कूद पड़ा और सचमुच सदा के लिए जीवन मुक्त हो गया।