इस प्रतिज्ञा के चलते ताउम्र गांधी जी ने पहनी धोती

Edited By Jyoti,Updated: 01 May, 2021 05:30 PM

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एक बार कस्तूरबा स्त्रियों की सभा में सफाई पर भाषण देने गईं। सभा की एक गरीब स्त्री उनका हाथ पकड़ कर अपने घर ले गई और बोली,

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एक बार कस्तूरबा स्त्रियों की सभा में सफाई पर भाषण देने गईं। सभा की एक गरीब स्त्री उनका हाथ पकड़ कर अपने घर ले गई और बोली, ‘‘बा, मैं भी सफाई से रहना चाहती हूं। लेकिन कैसे रहूं? मेरे पास एक ही धोती है।

जब नहाना होता है तो आधी धोती पहन लेती हूं और आधी भिगो लेती हूं। जब वह सूख जाती है तो उसे पहन लेती हूं और शेष आधी को भिगोती हूं। घर के लोगों से दूसरी धोती इसलिए नहीं मांगती क्योंकि वे पहले ही कर्जे में दबे हैं।’’

स्त्री की करुण कहानी सुनकर कस्तूरबा की आंखें गीली हो गईं। उन्होंने यह घटना गांधी जी को सुनाई तो वे भी बड़े दुखी हुए। उसी दिन से गांधी जी पूरी धोती के बदले आधी धोती बांधने लगे।

उन्होंने प्रतिज्ञा कर ली कि जब तक देश के सभी लोगों को तन ढकने के लिए उचित वस्त्र नहीं मिलते, मैं आधी धोती ही बाधूंगा।’’ -रमेश जैन
 

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