Motivational Concept: परम दयालु व परोपकारी थे ईश्वरचंद्र विद्यासागर

Edited By Jyoti,Updated: 18 May, 2021 10:32 AM

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ईश्वरचंद्र विद्यासागर बहुत दयालु स्वभाव के थे और वह सबकी मदद करने को तत्पर रहते थे। एक बार उन्हें पता लगा कि एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई है

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ईश्वरचंद्र विद्यासागर बहुत दयालु स्वभाव के थे और वह सबकी मदद करने को तत्पर रहते थे। एक बार उन्हें पता लगा कि एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई है जोकि ईमानदार और स्वाभिमानी था। आज उस परिवार के पास अंतिम क्रिया करने के भी पैसे नहीं हैं।

विद्यासागर उसी समय मृतक के घर पहुंचे और उनकी विधवा से बोले, ‘‘मैंने आपके पति से कुछ पैसे उधार लिए थे लेकिन मन में लालच आ जाने के कारण मैं पैसे लौटाने में आनाकानी कर रहा था। आज उनकी मृत्यु के बाद मेरी आंखें खुल गई हैं। मैं बहुत शॄमदा हूं। ये कुछ पैसे मैं लाया हूं। बाकी धीरे-धीरे चुका दूंगा।’’

इतना कहकर पैसे वहीं रखकर वह चुपचाप चले गए। मृतक की पत्नी ने ईश्वर को धन्यवाद दिया और अपने पति का अंतिम संस्कार किया। उसके बाद वह महीने में एक बार आते और इतने रुपए दे जाते कि उनका महीने भर का खर्च आराम से चल जाता।

एक बार महिला के एक जानने वाले ने उससे पूछा, ‘‘तुम्हारा खर्च कैसे चलता है?’’ 

महिला ने बताया, ‘‘मेरे पति ने किसी को पैसे उधार दिए थे। वह व्यक्ति हर महीने आता है और बड़ी विनम्रता से कुछ पैसे देकर चला जाता है। आश्चर्य की बात यह है कि मेरे पति ने कभी इस लेन-देन का जिक्र भी हमसे नहीं किया था।’’

जानने वाले ने उस महिला से ईश्वरचंद्र का हुलिया बताकर पूछा कि, ‘‘क्या वह कर्जदार ऐसा दिखता है?’’ 

महिला ने जवाब दिया, ‘‘हां।’’

‘‘क्या तुम उसे जानते हो?’’

उसने कहा, ‘‘पूरा कलकत्ता उसे जानता है। वह हर जरूरतमंद का कर्जदार है। जो भी असहाय है, गरीब है या जिसे मदद की जरूरत है ऐसे हर व्यक्ति से उसका लेन-देन है।’’ 

ऐसे थे परदु:खकातर, परोपकारी ईश्वरचंद्र विद्यासागर।

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