Edited By Jyoti,Updated: 23 Jul, 2021 01:42 PM
एक राजा के 2 बेटे थे-अवधेश और विक्रम। एक बार दोनों राजकुमार जंगल में शिकार करने गए। रास्ते में एक विशाल नदी थी। दोनों राजकुमारों का मन हुआ कि क्यों न नदी में नहाया जाए। यही सोचकर दोनों
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एक राजा के 2 बेटे थे-अवधेश और विक्रम। एक बार दोनों राजकुमार जंगल में शिकार करने गए। रास्ते में एक विशाल नदी थी। दोनों राजकुमारों का मन हुआ कि क्यों न नदी में नहाया जाए। यही सोचकर दोनों राजकुमार नदी में नहाने चल दिए। लेकिन नदी उनकी अपेक्षा से कहीं ज्यादा गहरी थी। विक्रम तैरते-तैरते थोड़ा दूर निकल गया, अभी थोड़ा तैरना शुरू ही किया था कि एक तेज लहर आई और विक्रम को दूर तक अपने साथ ले गई।
विक्रम डर से अपनी सुध-बुध खो बैठा। गहरे पानी में उससे तैरा नहीं जा रहा था। अब वह डूबने लगा था। अपने भाई को बुरी तरह फंसा देख अवधेश जल्दी से नदी से बाहर निकला और एक लकड़ी का बड़ा लट्ठा लिया और अपने भाई विक्रम की ओर उछाला। लेकिन दुर्भाग्यवश विक्रम इतना दूर था कि लकड़ी का लट्ठा उसके हाथ में नहीं आ पा रहा था।
इतने में सैनिक वहां पहुंचे और राजकुमार को देखकर सब यही बोलने लगे, ‘‘अब यह नहीं बच पाएंगे, यहां से निकलना नामुमकिन है। यहां तक कि अवधेश को भी अहसास हो चुका था कि अब विक्रम नहीं बच सकता।
इतने में एक संन्यासी आते हुए नजर आए। उनके साथ एक नौजवान भी था। थोड़ा पास आए तो पता चला वह नौजवान विक्रम ही था। लोग विक्रम से पूछने लगे कि तुम तेज बहाव से बचे कैसे?
संन्यासी ने कहा कि आपके सवाल का जवाब मैं देता हूं- यह बालक तेज बहाव से इसलिए बाहर निकल आया क्योंकि इसे वहां कोई यह कहने वाला नहीं था कि, ‘‘यहां से निकलना नामुमकिन है। इसे कोई हताश करने वाला नहीं था। इसके सामने केवल लकड़ी का लट्ठा था और मन में बचने की एक उम्मीद, बस इसीलिए यह बच निकला।’’