Edited By Jyoti,Updated: 11 Aug, 2021 03:54 PM
स्वर्ग प्राप्ति की लालसा से एक राजा यज्ञ कर रहा था। यज्ञ में बलि देने के लिए एक बकरा लाया गया। वह जोर-जोर से मिमिया रहा था। राजा ने विनोद से अपने मंत्री से पूछा, ‘‘यह क्या कह रहा है?’’
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
स्वर्ग प्राप्ति की लालसा से एक राजा यज्ञ कर रहा था। यज्ञ में बलि देने के लिए एक बकरा लाया गया। वह जोर-जोर से मिमिया रहा था। राजा ने विनोद से अपने मंत्री से पूछा, ‘‘यह क्या कह रहा है?’’
मंत्री चतुर और हाजिर जवाब था, तुरंत बोला, ‘‘यह आपसे कुछ अर्ज कर रहा है।’’
राजा ने आश्चर्य से पूछा, ‘‘क्या कह रहा है?’’
मंत्री ने कहा, ‘‘यह कहता है कि मुझे स्वर्ग नहीं चाहिए। मैंने स्वर्ग जाने की आपसे कब इच्छा प्रकट की थी?
मैं तो घास खाकर ही संतुष्ट हूं, स्वर्ग के दिव्य भोग मुझे नहीं चाहिए। अगर यज्ञ में बलि दिए जाने से प्राणी स्वर्ग चला जाता है, तो राजा अपने बाप, मां, स्त्री व लड़के-लड़कियों की या खुद अपनी बलि देकर स्वर्ग क्यों नहीं चले जाते?’’
राजा को बात समझ में आ गई। वह बड़ा शृमिंदा हुआ। उसने बकरे को छोड़ दिया और यज्ञ बिना बलि के सम्पन्न कराया।