Edited By Jyoti,Updated: 23 Sep, 2021 07:33 PM
टॉलस्टॉय सुबह पांच बजे चर्च गए। सोचा वहां शांत वातावरण में प्रार्थना सुन सकूंगा, किंतु उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उनसे पहले भी एक व्यक्ति वहां पहुंच चुका है और कह रहा है
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टॉलस्टॉय सुबह पांच बजे चर्च गए। सोचा वहां शांत वातावरण में प्रार्थना सुन सकूंगा, किंतु उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उनसे पहले भी एक व्यक्ति वहां पहुंच चुका है और कह रहा है, ‘‘हे भगवान, मैंने इतने अधिक पाप किए हैं कि मुझे कुछ कहते हुए लज्जा आ रही है। अत: हे परमात्मा, मेरे पापों को क्षमा करना।’’
टॉलस्टॉय ने जब सुना तो सोचने लगे कि यह व्यक्ति वाकई में कितना महान है कि सच्चे दिल से अपने अपराधों को स्वीकार कर रहा है। निकट आने पर टॉलस्टॉय उसको पहचान गए। वह नगर का लखपति सेठ था। ज्यों ही उसकी दृष्टि टॉलस्टॉय पर गई वह घबराकर बोला, ‘‘आपने मेरे शब्द सुने तो नहीं?’’
टॉलस्टॉय ने कहा, ‘‘हां, सुने तो थे। मैं तो तु हारी स्वीकारोक्ति सुनकर धन्य हो गया।’’
यह सुनकर वह व्यक्ति बोला, ‘‘लेकिन यह बात तुम किसी को भी मत बताना, क्योंकि यह बात मेरे और परमेश्वर के बीच की थी। मैं तु हें सुनाना नहीं चाहता था।’’ फिर अकस्मात कुछ नाराजगी जाहिर करते हुए बोला, ‘‘लेकिन अगर तुमने यह बात किसी को बताई तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।’’
टॉलस्टॉय यह सुनकर दंग रह गए और बोले, ‘‘अरे अभी-अभी तो तुम कह रहे थे कि...।’’
उनकी बात काटते हुए वह व्यक्ति बीच में ही बोल उठा, ‘‘हां मगर मैंने जो कुछ भी कहा था वह परमात्मा के लिए था। दुनिया के लिए नहीं।’’
टॉलस्टॉय हैरान होकर सोचने लगे कि यह दुनिया कितनी मूर्ख है। लोगों से डरती है लेकिन भगवान से नहीं। जो इंसान लोगों के सामने अपनी सच्चाई प्रकट नहीं कर सकता वह भला भगवान के सामने कैसे सच्चा हो सकता है।