Edited By Jyoti,Updated: 26 Nov, 2021 01:56 PM
हमें अपने जीवन में क्रोध के प्रति सावधान रहना चाहिए क्योंकि कई बार ऐसा देखा गया है कि क्रोध उत्पन्न होने से हमारा विवेक उस समय समाप्त हो जाता है एवं हम कुछ गलत फैसले ले बैठते हैं जिसका परिणाम
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हमें अपने जीवन में क्रोध के प्रति सावधान रहना चाहिए क्योंकि कई बार ऐसा देखा गया है कि क्रोध उत्पन्न होने से हमारा विवेक उस समय समाप्त हो जाता है एवं हम कुछ गलत फैसले ले बैठते हैं जिसका परिणाम हमें तमाम जिंदगी भुगतना पड़ता है। विश्व प्रसिद्ध रोमन सम्राट जूलियस सीजर की गिनती दुनिया के श्रेष्ठ योद्धाओं में की जाती है। उसने अपने जीवन में अनेक युद्ध लड़े। उसके दोस्तों की संख्या भी अच्छी-खासी थी और दुश्मन भी अनेक थे। जो तरह-तरह से उसके खिलाफ साजिश रचते थे लेकिन सीजर इन सब चीजों की परवाह नहीं करता था।
वह मानता था कि जीवन के हर पल को भरपूर जीने में ही सुख है इसलिए घोर विपत्ति में भी वह जरा भी परेशान नहीं होता था। उसमें काम करने की धुन थी। उसके बारे में मशहूर है कि वह एक बार में तीन काम एक साथ करता था। एक दिन सीजर अपने कुछ मित्रों के साथ बैठा था कि तभी उसे पत्रों का एक पुलनिंदा मिला। वह पत्र उसके किसी विरोधी ने लिखे थे। सीजर ने उन्हें बिना पढ़े ही आग के हवाले कर दिया। यह देख कर उसके मित्र ने कहा, ‘‘आपने पत्र जलाकर अच्छा नहीं किया।’’
अपने शत्रु के खिलाफ यह महत्वपूर्ण प्रमाण साबित हो सकते थे। इनके जरिए हम उनके षड्यंत्रों का पर्दाफाश भी कर सकते थे।
सीजर ने कहा, ‘‘मैं क्रोध के प्रति बेहद सतर्क रहता हूं पर मेरी दृष्टि में उससे भी ज्यादा आवश्यक कदम यह है कि क्रोध के कारण को ही मिटा दिया जाए। आखिर क्रोध को जीवन में क्यों ज्यादा जगह दी जाए। मैं जीवन में क्रोध का जो भी कारण है, उसे तुरंत ही नष्ट कर देता हूं।’’
उसके मित्र उसको आश्चर्य से देखने लगे। —दीनदयाल मुरारका