Edited By Jyoti,Updated: 12 Jan, 2022 01:43 PM
किसी गांव में गोपाल नाम का एक नवयुवक रहता था। वह बहुत मेहनती था, पर हमेशा अपने मन में एक शंका लिए रहता कि वह अपने कार्यक्षेत्र में सफल होगा या नहीं। कभी-कभी वह इसी चिंता
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किसी गांव में गोपाल नाम का एक नवयुवक रहता था। वह बहुत मेहनती था, पर हमेशा अपने मन में एक शंका लिए रहता कि वह अपने कार्यक्षेत्र में सफल होगा या नहीं। कभी-कभी वह इसी चिंता के कारण आवेश में आ जाता और दूसरों पर क्रोधित भी हो उठता। एक दिन उसके गांव में एक प्रसिद्ध महात्मा जी आए। खबर मिलते ही गोपाल महात्मा जी से मिलने पहुंचा और बोला, ‘‘महात्मा जी मैं कड़ी मेहनत करता हूं, सफलता पाने के लिए हर एक प्रयत्न करता हूं पर फिर भी मुझे सफलता नहीं मिलती। कृपया आप ही कुछ उपाय बताएं।’’
महात्मा जी ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘‘बेटा, तुम्हारी समस्या का समाधान इस चमत्कारी ताबीज में है, मैंने इसके अंदर कुछ मंत्र लिखकर डाले हैं जो तुम्हारी हर बाधा दूर कर देंगे। लेकिन इसे सिद्ध करने के लिए तुम्हें एक रात श्मशान में अकेले गुजारनी होगी।’’
श्मशान का नाम सुनते ही गोपाल डर गया।’’
महात्मा जी ने समझाया, ‘‘घबराओ मत, यह कोई मामूली ताबीज नहीं, यह हर संकट से तुम्हें बचाएगा।’’
गोपाल ने पूरी रात श्मशान में बिताई और सुबह होते ही महात्मा जी के पास जा पहुंचा, ‘‘हे महात्मन! सचमुच यह ताबीज दिव्य है। निश्चय ही अब मैं सफलता प्राप्त कर सकता हूं।’’ इस घटना के बाद गोपाल की किस्मत बदल गई। इस वाक्य के करीब 1 साल बाद फिर वही महात्मा गांव में पधारे। गोपाल तुरन्त उनके दर्शन को गया और उनके दिए चमत्कारी ताबीज का गुणगान करने लगा।
तब महात्मा जी बोले, ‘‘बेटे! जरा अपना ताबीज निकाल कर देना।’’ उन्होंने ताबीज हाथ में लिया और उसे खोला। उसे खोलते ही गोपाल के होश उड़ गए जब उसने देखा कि ताबीज के अंदर कोई मंत्र-यंत्र नहीं था। गोपाल बोला, ‘‘यह क्या महात्मा जी, यह तो एक मामूली ताबीज है?’’ महात्मा जी ने समझाते हुए कहा, ‘‘तुम्हें सफलता इस ताबीज ने नहीं बल्कि तुम्हारे विश्वास की शक्ति ने दिलाई है।’’