Edited By Jyoti,Updated: 03 Mar, 2022 01:19 PM
सिकन्दर के पिता राजा फिलिप अपने दरबार में स्वयं मुकद्दमे सुनकर न्याय करते थे। एक दिन राज्य के दो नागरिकों का मुकद्दमा उनके सामने पेश किया गया। दोनों अपना-अपना पक्ष प्रस्तुत कर रहे थे।
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सिकन्दर के पिता राजा फिलिप अपने दरबार में स्वयं मुकद्दमे सुनकर न्याय करते थे। एक दिन राज्य के दो नागरिकों का मुकद्दमा उनके सामने पेश किया गया। दोनों अपना-अपना पक्ष प्रस्तुत कर रहे थे। एक व्यक्ति जब अपनी बात कह रहा था तो राजा को नींद की झपकी आ गई। जब उनकी आंखें खुलीं तो दूसरे पक्ष के व्यक्ति का बयान शुरू हो चुका था।
राजा ने उसके बयान को सच मानकर दूसरे व्यक्ति को सजा सुना दी। दूसरे व्यक्ति ने निर्णय सुनते ही कहा, ‘‘राजन आपका निर्णय न्यायपूर्ण नहीं है। मैं इसके विरुद्ध अपील करना चाहता हूं।’’
ये शब्द सुनते ही दरबार में सन्नाटा छा गया। पहली बार किसी नागरिक ने राजा के निर्णय को चुनौती दी थी।
राजा ने उससे पूछा, ‘‘मेरा निर्णय अंतिम होता है। तुम किसके यहां अपील करोगे?’’
नागरिक ने कहा, ‘‘महाराज मैं सोए हुए राजा के निर्णय के विरुद्ध जागे हुए राजा फिलिप के दरबार में अपील करूंगा। मेरा जब बयान हो रहा था, तब आप सोए हुए थे। अब आप जाग गए हैं। मेरी बात भी सुन लें, तब निर्णय दें।’’
राजा फिलिप ने अपनी भूल स्वीकार की। उस नागरिक का प्रश्न सुनने के बाद उसे आरोप मुक्त कर दिया।