Motivational Concept: कोई भी काम छोटा नहीं होता

Edited By Jyoti,Updated: 31 Mar, 2022 12:22 PM

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एक बार अपने आश्रम में गांधी जी ने यह योजना बनाई कि भोजनोपरांत जूठे बर्तनों को सब लोग मिलजुल कर ही साफ किया करें। पहले यह नियम था कि

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एक बार अपने आश्रम में गांधी जी ने यह योजना बनाई कि भोजनोपरांत जूठे बर्तनों को सब लोग मिलजुल कर ही साफ किया करें। पहले यह नियम था कि हर व्यक्ति अपने जूठे बर्तन स्वयं ही धोता था और उन्हें रसोई में रखता था। इस नियम का उद्देश्य था कि प्रत्येक व्यक्ति अपना काम स्वयं करे और ज्यादा से ज्यादा स्वावलंबी बनने पर ध्यान दे।

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बाद में नियम बनाया गया कि बारी-बारी से दो-तीन व्यक्ति सबके जूठे बर्तन मांजा करें। इससे आश्रमवासियों में प्रेम बढ़ेगा तथा दूसरों के जूठे  बर्तन साफ करने से जो घृणा होती है उससे भी छुटकारा मिलेगा। इस नियम के पीछे अलग-अलग बर्तन मांजने में हर व्यक्ति के लगने वाले समय और श्रम से बचने की भावना तो थी ही।

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महात्मा गांधी ने इस नियम का महत्व आश्रम वासियों को समझाते हुए कहा कि कोई भी काम छोटा नहीं होता। उनकी इस योजना का स्वागत नहीं हुआ। कुछ तो इसका विरोध करते हुए यह भी कहने लगे कि सबके जूठे बर्तन मांजने से व्यवस्था में व्यवधान उत्पन्न हो जाएगा।

इस पर गांधी जी ने कहा, ‘‘व्यवस्था को सुचारू बनाए रखना ही तो मेरा काम है। मैं इस नियम का महत्व समझाने की ज्यादा सामथ्र्य नहीं रखता हूं।’’ इतना कहकर बापू और बा दोनों बर्तन मांजने लगे। शुरू में तो किसी ने समझा नहीं, पर जब बा और बापू बर्तन मांजने बैठ गए तो आश्रम वासियों का मन बदला, तब उन पर इसका प्रभाव पड़ा और वे भी उनके साथ बर्तन मांजने में जुट गए।
 

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