Edited By Jyoti,Updated: 12 Apr, 2022 11:12 AM
एक व्यक्ति के बारे में मशहूर हो गया कि उसका चेहरा बहुत मनहूस है। लोगों ने उसके मनहूस होने की शिकायत राजा से की। राजा ने लोगों की इस धारणा पर विश्वास नहीं किया, लेकिन
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एक व्यक्ति के बारे में मशहूर हो गया कि उसका चेहरा बहुत मनहूस है। लोगों ने उसके मनहूस होने की शिकायत राजा से की। राजा ने लोगों की इस धारणा पर विश्वास नहीं किया, लेकिन उसने इस बात की जांच खुद करने का फैसला किया।
राजा ने उस व्यक्ति को बुला कर अपने महल में रखा और एक सुबह स्वयं उसका मुख देखने पहुंचा। संयोग से व्यस्तता के कारण उस दिन राजा भोजन नहीं कर सका। वह इस नतीजे पर पहुंचा कि उस व्यक्ति का चेहरा सचमुच मनहूस है। उसने जल्लाद को बुलाकर उस व्यक्ति को मृत्युदंड देने का हुक्म सुना दिया।
जब मंत्री ने राजा का यह हुक्म सुना तो उसने पूछा, ‘‘महाराज! इस निर्दोष को क्यों मृत्युदंड दे रहे हैं?’’
राजा ने कहा, ‘‘यह व्यक्ति वास्तव में मनहूस है। आज सर्वप्रथम मैंने इसका मुख देखा तो मुझे दिन भर भोजन भी नसीब नहीं हुआ।’’ इस पर मंत्री ने कहा, ‘‘महाराज क्षमा करें, प्रात: इस व्यक्ति ने भी सर्वप्रथम आपका मुख देखा था। आपको तो भोजन नहीं मिला, लेकिन आपके मुखदर्शन से तो इसे मृत्युदंड मिल रहा है। अब आप स्वयं निर्णय करें कि कौन अधिक मनहूस है।’’
राजा भौचक्का रह गया। उसने इस दृष्टि से तो सोचा ही नहीं था। राजा को किंकत्र्तव्यविमूढ़ देख कर मंत्री ने कहा, ‘‘राजन! किसी भी व्यक्ति का चेहरा मनहूस नहीं होता। वह तो भगवान की देन है। मनहूसियत हमारे देखने या सोचने के ढंग में होती है। हमें अपनी पड़ताल स्वयं करनी चाहिए। आप कृपा कर इस व्यक्ति को मुक्त कर दें। राजा ने उसे मुक्त कर दिया।’’