Edited By Jyoti,Updated: 31 May, 2022 11:41 AM
दशरथ मांझी बिहार में गया के करीब गहलौर गांव के एक गरीब मजदूर थे। दशरथ मांझी कम उम्र में ही धनबाद की कोयले की खान में काम करने लगे, बड़े होने पर फाल्गुनी देवी नामक लड़की से शादी कर ली। अपने पति के
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दशरथ मांझी बिहार में गया के करीब गहलौर गांव के एक गरीब मजदूर थे। दशरथ मांझी कम उम्र में ही धनबाद की कोयले की खान में काम करने लगे, बड़े होने पर फाल्गुनी देवी नामक लड़की से शादी कर ली। अपने पति के लिए खाना ले जाते समय उनकी पत्नी फाल्गुनी पहाड़ के दर्रे में गिर गई।
पहाड़ के दूसरी ओर अस्पताल था, जो करीब 55 किलोमीटर की दूरी पर था। दूरी होने के कारण उचित समय पर उनको उपचार नहीं मिल पाया, जिसके कारण उनका निधन हो गया। यह बात उनके दिल को लग गई।
इसके बाद दशरथ मांझी ने ठान लिया कि वह अकेले अपने दम पर पहाड़ों के बीचों-बीच से रास्ता निकालेंगे और केवल एक हथौड़ा और छैनी लेकर खुद अकेले ही 360 फुट लम्बे, 30 फुट चौड़े और 25 फुट ऊंचे पहाड़ को काटकर एक सड़क बना डाली।
22 वर्षों के अथक परिश्रम के बाद, दशरथ की बनाई सड़क ने अतरी और वजीरगंज ब्लॉक की दूरी को 55 किलोमीटर से 15 किलोमीटर कर दिया। एक इंसान जिसके पास न ही पैसा था, न ही ताकत, उसने एक पहाड़ खोद दिया। उनकी जिंदगी से सीख मिलती है कि हम ठान लें तो किसी भी कठिनाई को आसानी से पार कर सकते हैं।