Edited By Jyoti,Updated: 09 Jun, 2022 05:41 PM
एक बार किशनगढ़ में एक चोर चोरी करने के इरादे से आया। जब वह घर में चोरी करने घुसा, तो कुछ ग्रामीणों ने उसे देख लिया और उसे पकड़ कर एक पेड़ से बांध दिया। फिर वे विचार करने लगे कि इसे क्या सजा दी जाए?
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एक बार किशनगढ़ में एक चोर चोरी करने के इरादे से आया। जब वह घर में चोरी करने घुसा, तो कुछ ग्रामीणों ने उसे देख लिया और उसे पकड़ कर एक पेड़ से बांध दिया। फिर वे विचार करने लगे कि इसे क्या सजा दी जाए? काफी सोच-विचार कर आखिर तय हुआ कि गांव के मुखिया से पूछा जाए। यह विचार करके सब चोर को वहीं बंधा छोड़ कर मुखिया के पास चले गए।
इधर उस चोर को एक चरवाहे ने देखा। वह भेड़ों को चराने जा रहा था। उसने चोर से पूछा तुम कौन हो, यहां तुम्हें किसने बांधा? तुमने ऐसा क्या किया था?
चोर ने कहा, यहां कुछ डाकू आए थे, जो लोगों को लूट कर धन कमाते हैं। पाप से बचने के लिए वे धन को दान भी करते हैं। कई दिनों से वे सोने की मोहरें दान करना चाहते थे, किन्तु लेने वाला कोई नहीं मिल रहा था। मैं एक फकीर हूं। मैंने मोहरें लेने से मना किया, तो उन्होंने मुझे जबरदस्ती इस पेड़ से बांध दिया। वे अपनी पाप की कमाई लेने गए हैं, जिसे वे मुझे जबरन देंगे, जबकि मैं उससे दूर रहना चाहता हूं।
चोर की बात सुनकर चरवाहे के मन में लोभ जाग गया। उसने कहा, मैं तुम्हारे बंधन खोल देता हूं और तुम अपनी जगह मुझे बांध दो। अभी अंधेरा हो रहा है। अंधेरे में वे मुझे नहीं पहचान पाएंगे और मोहरें मुझे दे देंगे, जिससे मेरी गरीबी दूर हो जाएगी।
चोर ने यही किया और चरवाहे को अपनी जगह बांध कर उसकी भेड़ें लेकर वहां से चला गया। उधर, ग्रामीणों के मुखिया ने चोर को समुद्र में फैंकने का आदेश दिया। ग्रामीणों ने चरवाहे को समुद्र में फैंक दिया। इस प्रकार लालच ने चरवाहे के प्राण ले लिए।