Edited By Jyoti,Updated: 15 Jul, 2022 11:31 AM
एक लकड़हारा पत्नी और बेटे के साथ रहता था। वह दिन भर लकड़ी काटता और पास के बाजार में बेच आता था तथा उससे जो आमदनी होती थी उसी से उसका परिवार चलता था। एक दिन वह घर में भोजन कर रहा था तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी। उसने अपने लड़के से दरवाजा
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एक लकड़हारा पत्नी और बेटे के साथ रहता था। वह दिन भर लकड़ी काटता और पास के बाजार में बेच आता था तथा उससे जो आमदनी होती थी उसी से उसका परिवार चलता था। एक दिन वह घर में भोजन कर रहा था तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी। उसने अपने लड़के से दरवाजा खोलकर देखने के लिए कहा कि बाहर कौन है।
लड़के ने दरवाजा खोला तो बाहर 4 साधु खड़े थे। उन्होंने लड़के को अपना नाम क्रमश: धन, वैभव, सफलता और श्रम बताते हुए कहा कि हमें भूख लगी है। लड़का गया और पिताजी को सारी बात बताई। लकड़हारे ने चारों साधुओं को आदर सहित अंदर लाने को कहा। लड़का दरवाजे पर गया और चारों साधुओं को अंदर आने को कहा; पर साधुओं ने एक शर्त रखते हुए कहा कि हम में से कोई एक ही अंदर जाएगा और जो भी अंदर जाएगा वह अपने नाम का प्रभाव लेकर जाएगा।
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लड़का फिर से पिताजी के पास गया और ये बातें बताईं। अब लकड़हारा सोच में पड़ गया कि किसे बुलाया जाए। लकड़हारे की पत्नी सफलता को बुलाना चाहती थी, वह खुद धन को बुलाना चाहता था। तभी लड़के ने कहा कि हम लोग वैसे भी मेहनत करके कमाते हैं तो क्यूं न श्रम को बुलाया जाए।
लकड़हारा आखिरकार मान गया। लड़के ने दरवाजे पर जाकर श्रम को अंदर आने को कहा, पर जैसे ही श्रम अंदर आने लगा बाकी के 3 साधु भी पीछे-पीछे आने लगे। तो लड़के ने उत्सुकतावश पूछा कि मैंने तो सिर्फ श्रम को बुलाया है तो फिर आप लोग क्यों अंदर आ रहे हैं। बाकियों ने कहा कि जहां श्रम होगा वहां हम लोग तो होंगे ही। इस प्रसंग का सार है कि अगर हम सच्चे मन से मेहनत करें तो हमें धन, वैभव और सफलता तीनों मिलती हैं।