इस प्रेरक प्रसंग से जानिए सज्ज्न और दुर्जन में अंतर

Edited By Jyoti,Updated: 10 Aug, 2022 10:55 AM

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किसी विद्वान से पूछा-सज्जन और दुर्जन की क्या पहचान है?विद्वान ने उत्तर दिया-देखो सामने खड़े विशाल वृक्ष को जो फल-फूलों से लदा है। मधुर-मधुर फल लगे हैं। पर उन मधुर फलों को प्राप्त करने के लिए उस वृक्ष पर कुछ लोग पत्थर फैंक रहे हैं।

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किसी विद्वान से पूछा-सज्जन और दुर्जन की क्या पहचान है?विद्वान ने उत्तर दिया-देखो सामने खड़े विशाल वृक्ष को जो फल-फूलों से लदा है। मधुर-मधुर फल लगे हैं। पर उन मधुर फलों को प्राप्त करने के लिए उस वृक्ष पर कुछ लोग पत्थर फैंक रहे हैं।

वृक्ष बदले में क्या दे रहा है-मधुर फल। बस यही होता है सज्जन का स्वभाव। और देखो-तलैया के किनारे कुछ कीचड़ सा है। कुछ बालक उसमें पत्थर फैंक रहे हैं, पर कीचड़ में पत्थर फैंकने वालोंको क्या मिलता है-गंदे छींटे। बस यही दुर्जन का स्वभाव है। सज्जन स्वभाव वाले व्यक्ति अपमान, घृणा व वैमनस्य का जहर उगलने वाले विषधर को भी करुणा, स्नेह एवं मुक्ति का दूध पिलाते हैं। दुष्ट स्वभाव वाले चंडकोशिक सर्प ने प्रभु को डंक मारा तो भी करुणा के अवतार ने स्नेह की धारा ही बहाई।
 

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एक बार स्वामी दयानंद सरस्वती को अनूप शहर में किसी व्यक्ति ने पान में विष दे दिया। यह बात जब लोगों में फैली तो आक्रोश की आग भड़क उठी। वहां के तहसीलदार सैयद मोहम्मद जो स्वामी जी के भक्त भी थे ने अपराधी को पकड़ कर स्वामी जी के समक्ष उपस्थित किया और कहा-आप आज्ञा करिए, इसे क्या कठोरतम दंड दिया जाए?
स्वामी दयानंद जी कुछ गंभीर होकर बोले-इसे मुक्त कर दो, मैं संसार में लोगों को कैद कराने नहीं, अपितु छुड़ाने के लिए आया हूं। सज्जन पुरुष कभी दुर्जन व्यक्ति के साथ स्पर्धा नहीं करते। अश्व के सम्मुख तुलना के लिए क्या कभी गधा लाया जा सकता है?

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