Edited By Jyoti,Updated: 26 Feb, 2020 10:39 AM
रूस के प्रसिद्ध लेखक टॉलस्टॉय जब किसी कहानी या उपन्यास का सृजन कर रहे होते तो वह पात्रों के साथ गजब का तारतम्य बना लेते थे। लिखते-लिखते एक वक्त ऐसा आता कि
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रूस के प्रसिद्ध लेखक टॉलस्टॉय जब किसी कहानी या उपन्यास का सृजन कर रहे होते तो वह पात्रों के साथ गजब का तारतम्य बना लेते थे। लिखते-लिखते एक वक्त ऐसा आता कि अपने उपन्यास के पात्रों को पूरी तरह जीना शुरू कर देते थे। उन्हें याद ही नहीं रहता था कि वह अपने उपन्यास के कोई कैरेक्टर नहीं बल्कि खुद उसके लेखक हैं। एक दिन वह लिखने के बाद मस्क्वा नदी के पुल पर पहुंचे और अचानक एक सिपाही से टकरा गए।
वह सिपाही टॉलस्टॉय को नहीं पहचानता था। अचानक हुई टक्कर से नाराज होकर उस सिपाही ने पुलिसिया अंदाज में सवाल दागा, “क्या तूने किसी नीली आंखों वाली, खूबसूरत-सी लड़की को इस पुल पर से गुजरते देखा है?”
महान लेखक ने आत्मलीन होकर कहा, “जी हुजूर, अभी-अभी अन्ना नाम की एक सुंदर-सी लड़की ने यहीं से मस्क्वा नदी में छलांग लगाई है। उसकी आंखें नीले सागर जैसी गहरी थीं और उनमें संवेदना भरी पड़ी थी और हुजूर, उसके बाल सुनहरे नहीं थे बल्कि वे कुछ-कुछ काले थे।”
यह सुनते ही सिपाही उन पर दहाड़ा, “और तूने उसे रोका क्यों नहीं? बदमाश, चलो, अब तुमको थाने चलना पड़ेगा।”
पुलिस वाला टॉलस्टॉय को लेकर थाने पहुंचा। थाने पर जब पुलिस कप्तान ने टॉलस्टॉय को देखा तो सकते में आ गया। उसने उन्हें उठ कर सलाम ठोका और कहा, “सर कुछ काम था तो मुझे बुलवा लिया होता। खुद आने की तकलीफ क्यों की?”
टॉलस्टॉय हंस पड़े और बोले, “एक कहानी खत्म करके घूमने निकला था। नायिका अन्ना ने प्रेम में निराश होकर आत्महत्या कर ली। जब इंस्पैक्टर साहिब ने मुझे सवाल किया तो मैं अपनी अन्ना के ख्याल में खोया हुआ था। कितनी प्यारी लड़की थी, अन्ना बेचारी।”
यह सुनकर उस सिपाही का चेहरा देखने लायक था।