Edited By Jyoti,Updated: 18 Sep, 2019 09:39 AM
11 वर्षीय एडगर का परिवार स्वीडन से शिकागो आया था। घर की माली हालत से चिंतित एडगर ने सोचा कि कोई ऐसा काम करना चाहिए जिससे परिवार की मदद हो सके। उसने अनेक कार्यों में हाथ आजमाया लेकिन सफलता नहीं मिली।
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11 वर्षीय एडगर का परिवार स्वीडन से शिकागो आया था। घर की माली हालत से चिंतित एडगर ने सोचा कि कोई ऐसा काम करना चाहिए जिससे परिवार की मदद हो सके। उसने अनेक कार्यों में हाथ आजमाया लेकिन सफलता नहीं मिली। एक दिन वह निराश बैठा था कि उसका एक मित्र उससे मिलने आया। चिंता की वजह जानने के बाद मित्र ने कहा, “मैंने फोटोग्राफी में कई लोगों को थोड़ी-सी जानकारी के बल पर अच्छी कमाई करते देखा है। तुम फोटोग्राफी की जानकारी के लिए एक पुस्तक मंगवा लो। उसे पढ़कर कुछ ही समय में फोटोग्राफी का काम करने लगोगे।“
मित्र की सलाह पर एडगर ने एक प्रकाशक के पास फोटोग्राफी की पुस्तक का ऑर्डर भेज दिया। कुछ दिनों में प्रकाशक के पास से पुस्तक तो आ गई लेकिन वह आवाज की बाजीगरी से संबंधित पुस्तक थी। प्रकाशक ने भूलवश कोई और ही पुस्तक भेज दी थी। एडगर के लिए इस पुस्तक का कोई मतलब नहीं था। वह पुस्तक उसके घर यूं ही रखी रही। आखिर एक दिन उसने सोचा कि जब पुस्तक को मंगवाने में रुपए खर्च किए हैं तो उसे पढ़ तो लेना ही चाहिए। यह सोचकर उसने पुस्तक पढ़नी आरंभ कर दी। जैसे-जैसे वह पढ़ता गया उसकी इसमें दिलचस्पी बढ़ती गई। पुस्तक समाप्त करने के बाद भी वह इसके प्रभाव से बाहर नहीं आ सका। उसने पुस्तक के अनुसार आवाज़ की बाजीगरी करनी आरम्भ कर दी। वह नियमित रूप से अभ्यास करता रहा और उसकी यह नई कला निखरती गई।
आसपास के लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रिया ने एडगर का उत्साह बढ़ाया और उसने यही काम करने का फैसला किया। धीरे-धीरे उसकी आवाज़ की बाजीगरी सबके सिर चढ़कर बोलने लगी। यही लड़का आगे चलकर विश्वविख्यात एंटरटेनर एडगर बर्गेन के रूप में जाना गया जिनका कठपुतली पर आधारित ‘चार्ली मैकार्थी शो’ आज भी याद किया जाता है।