Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Dec, 2017 10:11 AM
हिंदू धर्म में प्रत्येक कार्य को करने से पहले मुहूर्त देखने की अनिवार्यता है। शास्त्रों का मत है कि शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य शुभ फलदायी होता है। इसलिए संस्कारों को संपन्न करने से पहले पंचांग शुद्धि और ग्रह-नक्षत्रों की अनुकूलता देखने का विधान...
हिंदू धर्म में प्रत्येक कार्य को करने से पहले मुहूर्त देखने की अनिवार्यता है। शास्त्रों का मत है कि शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य शुभ फलदायी होता है। इसलिए संस्कारों को संपन्न करने से पहले पंचांग शुद्धि और ग्रह-नक्षत्रों की अनुकूलता देखने का विधान है। सोलह संस्कारों में से एक प्रमुख संस्कार मुंडन भी है। हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक है- मुंडन संस्कार। शिशु जब जन्म लेता है, तब उसके सिर पर गर्भ के समय से ही कुछ बाल होते हैं, जिन्हें अशुद्ध माना जाता है और बच्चे का मुंडन संस्कार होता है। जन्म से तीसरे, पांचवें, सातवें आदि विषम वर्षों में बच्चे का मुंडन संस्कार संपन्न किया जाता है। इसके लिए प्रतिपदा, चतुर्थी, षष्ठी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी, अमावस्या और पूर्णिमा तिथि को छोड़कर अन्य तिथियों में मुंडन किया जा सकता है।
फरवरी 2018
7 फरवरी बुधवार फाल्गुन कृष्ण 7, स्वाति नक्षत्र
17 फरवरी शनिवार फाल्गुन शुक्ल 3, शतभिषा नक्षत्र
20 फरवरी मंगलवार फाल्गुन शुक्ल 5, रेवती
25 फरवरी रविवार फाल्गुन शुक्ल 10, मृगशिरा
अप्रैल 2018
20 अप्रैल शुक्रवार वैशाख शुक्ल 5 मृगशिरा 22 अप्रैल रविवार वैशाख शुक्ल 7, पुनर्वसु 23 अप्रैल सोमवार वैशाख शुक्ल 8, पुष्य 27 अप्रैल शुक्रवार वैशाख शुक्ल 12-13, अगस्त
मई 2018
7 मई सोमवार प्रथम ज्येष्ठ कृष्ण 7, श्रवण 10 मई गुरुवार प्रथम ज्येष्ठ कृष्ण 10, शतभिषा 13 मई रविवार प्रथम ज्येष्ठ कृष्ण 13, रेवती
जून 2018
16 जून शनिवार द्वितीय ज्येष्ठ शुक्ल 3, पुष्य
जुलाई 2018
बुधवार 18 जुलाई
वीरवार 19 जुलाई