Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 Apr, 2022 09:02 AM
जन्मदाता, मां-बाप तो कुत्ते के पिल्लों और गधे के बच्चों को भी मिल जाते हैं लेकिन संस्कारदाता मां-बाप तो किसी
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संस्कार की पाठशाला
जन्मदाता, मां-बाप तो कुत्ते के पिल्लों और गधे के बच्चों को भी मिल जाते हैं लेकिन संस्कारदाता मां-बाप तो किसी खुशनसीब औलाद को ही मिलते हैं। वे पुत्र बड़े खुशनसीब हैं जिन्हें बचपन में मां-बाप ने उनकी उंगली पकड़ कर सिर्फ चलना ही नहीं बल्कि मंदिर जाना भी सिखाया। अपने बच्चों को सिर्फ कंधों और गोद में मत बिठाइए, उन्हें संस्कार की पाठशाला में भी दाखिल कराइए। मां वही है जो अपनी संतान के सुख के साथ अच्छे संस्कारों की भी चिंता करती है।
अगर आप मां-बाप हैं तो अपने बच्चों को ज्यादा मत समझाइए क्योंकि आजकल बड़े समझदार बच्चे पैदा हो रहे हैं। अब मूर्ख बच्चे पैदा होना बंद हो गए हैं। आज के बच्चे सिखाने से कुछ नहीं सीखते, वे सिर्फ दिखाने से सीखते हैं।
खुद बनिए उदाहरण
उन्हें आप जो कुछ भी सिखाना चाहते हैं, उसे खुद जी कर दिखाना शुरू कर दीजिए। वे सीख जाएंगे। उदाहरण स्वरूप यदि आप चाहते हैं कि सुबह उठकर बच्चे आपका आदर करें तो इसके लिए हर सुबह आप अपने बूढ़े मां-बाप को आदर देना शुरू कर दीजिए।
दुनिया में बुराइयां इसलिए हैं क्योंकि अच्छे लोग अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं। अच्छे लोग एकांतवासी होते जा रहे हैं।
कुर्सी कभी खाली नहीं रहती
अपनी प्रतिष्ठा और नाम बनाए रखने के लिए लोग बुरे लोगों के लिए कुर्सी खाली कर रहे हैं। याद रखना, कुर्सी कभी खाली नहीं रहती। अच्छे लोग उस पर नहीं बैठेंगे तो स्वाभाविक है बुरे लोग उस पर कब्जा कर लेंगे और फिर संचालन की डोर उनके हाथ में होगी। इस देश में आज यही हो रहा है परिणाम सबके सामने है।