Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 Jun, 2022 12:12 PM
मन कभी नहीं भरता
वर्तमान उपलब्धि से संतुष्ट न होने का नाम ही गरीबी है। अमीर हो या गरीब- यहां कोई भी सुखी नहीं है। गरीब को
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Muni Shri Tarun Sagar: मन कभी नहीं भरता
वर्तमान उपलब्धि से संतुष्ट न होने का नाम ही गरीबी है। अमीर हो या गरीब- यहां कोई भी सुखी नहीं है। गरीब को कल की चिंता है तो अमीर निन्यानवे के फेर में उलझा हुआ है। वैसे भी मन का पेट कभी भरता नहीं है। करोड़ मिल जाए तो दस करोड़ की लालसा सताने लगती है। मन का चरित्र है जो मिल जाता है, वह उसमें रस नहीं लेता।
समय का मूल्य
जो नहीं मिलता या मिलते-मिलते रह जाता है, उसके पीछे भागता है। तुम हर समय सांस लेते हो लेकिन सांस की कद्र कब होती है ? जब सांस लेने के लिए ऑक्सीजन का सिलैंडर लगाना पड़े।
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समय का मूल्य क्या है ? समय बहुमूल्य है, अमूल्य है। समय तो जीवन है। समय को बर्बाद करना तिल-तिल करके मरने जैसा है। समय-समय है, वह न तो किसी का इंतजार करता है और न ही किसी से इंकार। समय कभी पीछे मुड़कर भी नहीं देखता। अभी 12 बजे थे और अब 1 बज गया। तुम्हारी मौत एक घंटा और आगे सरक आई। कल शनिवार था और आज रविवार हो गया। मतलब जिंदगी की मुट्ठी में से एक दिन और खिसक गया।