इस रूप में धरती पर अवतार लेंगे श्रीहरि

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Jan, 2018 05:14 PM

mystery of kalki avatar what is the story of kalki

पुराणों में कहा गया है कि जब-जब धरती पर पाप बढ़ता है, तब-तब श्रीहरि दुष्टों का नाश करने हेतु धरती पर अवतार लेते हैं। पुराणों में इसके बारे में स्पष्ट बयान किया गया है कि कलयुग के अंत में श्री विष्णु एक और अवतार लेंगे।

पुराणों में कहा गया है कि जब-जब धरती पर पाप बढ़ता है, तब-तब श्रीहरि दुष्टों का नाश करने हेतु धरती पर अवतार लेते हैं। पुराणों में इसके बारे में स्पष्ट बयान किया गया है कि कलयुग के अंत में श्री विष्णु एक और अवतार लेंगे। श्री हरि का यह अवतार  कल्कि के रूप में प्रसिद्ध होगा। श्रीमद्भागवत-महापुराण में भगवान के कल्कि अवतार का वर्णन एक श्लोक में किया गया है।यहां जानें भगवान कल्कि तथा उनके मंदिर के संबंध में कुछ रोचक जानकारी-


कहां और किसके घर लेंगे भगवान कल्कि अवतार
श्रीमद्भागवत-महापुराण के बारवें स्कंद में दिया गया श्लोक-


सम्भलग्राममुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मनः।
भवने विष्णुयशसः कल्किः प्रादुर्भविष्यति।।


श्लोक का अर्थ- शम्भल-ग्राम में विष्णुयश नाम के एक ब्राह्मण होंगे। उनका ह्रदय बड़ा उदार और भगवतभक्ति पूर्ण होगा। उन्हीं के घर कल्कि भगवान अवतार ग्रहण करेंगे।
श्रीमद्भागमत-महापुराण में बताई गई जगह आज उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद जिले में संभल नाम से मौजूद है। पुराणों के अनुसार यहीं पर भगवान विष्णु अपना कल्कि अवतार लेंगे। कल्कि देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होकर संसार से पापियों का विनाश करेंगे और फिर से धर्म की स्थापना करेंगे।

PunjabKesari
किस दिन होगा कल्कि अवतार
पुराणों के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को कल्कि अवतार होगा, इसलिए इस दिन कल्कि जयंती का पर्व मनाया जाता है। कल्कि अवतार कलियुग व सतयुग के संधिकाल में होगा। यह अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा।

PunjabKesari

कहां है भगवान कल्कि का मंदिर
भगवान श्री कल्कि का प्राचीन कल्कि विष्णु मंदिर उत्तर प्रदेश के संभल जिले में है। पुराणों में संभल जिले को शंभल के नाम से पुकारा गया है। संभल में स्थापित प्राचीन श्री कल्कि विष्णु मन्दिर का इतिहास भी बहुत रोचक व अनोखा है। संभल जिले में भगवान श्री कल्कि का यह मंदिर अपने वास्तु शास्त्र, अपने श्री विग्रह, अपनी वाटिका, अपने साथ स्थापित भगवान शिव के कल्केश्वर रूप और अपने शिखर पर बैठने वाले तोतों के कारण अद्भुत है।

PunjabKesari

कोई भी भक्त नहीं छू सकता यहां भगवान की मूर्ति
इस मन्दिर में भगवान कल्कि की मूर्ति को छूना सभी भक्तों के लिए मना है। भगवान की पूज्य और भक्तों द्वारा लाए गए प्रसाद का भोग यहां के पुजारी ही करा सकते हैं। पुजारी के अलावा अन्य सभी लोगों के दूर से ही भगवान के दर्शन करने होते हैं।

PunjabKesari

मंदिर के पास है एक अनोखा शिव मंदिर
इस मन्दिर परिसर में मुख्य मन्दिर के पास ही भगवान शिव का एक अनोखा मंदिर भी है। इस मंदिर को अनोखा इसलिए माना जाता है क्योंकि इस मंदिर में भगवान शिव की मूछों वाली प्रतिमा है। इस मन्दिर का इतिहास भी बहुत रोचक और पौराणिक माना जाता है।

PunjabKesari

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!