Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Nov, 2020 10:38 AM
भगवान श्री कृष्ण ने नरक चतुर्थी के दिन नरकासुर का संहार किया था। श्रीमद् भागवत के अनुसार नरकासुर नाम का एक बड़ा ही पराक्रमी राक्षस था, जो भूमि से उत्पन्न हुआ था व आकाश में विचरण करते हुए
Chhoti Diwali 2020: भगवान श्री कृष्ण ने नरक चतुर्थी के दिन नरकासुर का संहार किया था। श्रीमद् भागवत के अनुसार नरकासुर नाम का एक बड़ा ही पराक्रमी राक्षस था, जो भूमि से उत्पन्न हुआ था व आकाश में विचरण करते हुए आकाश में ही नगर बनाकर उसके भीतर रहता था।
उसने देवताओं के भांति-भांति के रत्न ऐरावत हाथी, श्रवा घोड़ा, कुबेर के मणि व माणिक्य तथा पद्मनिधि नामक शंख भी उनसे छीन लिए थे। एक दिन सभी देवता नरकासुर के भय से पीड़ित होकर शचीपति इंद्र को साथ लेकर भगवान श्री कृष्ण के पास सहायता के लिए गए। उन्होंने भगवान को नरकासुर के बारे में बताया।
उनकी सभी चेष्टाएं सुनकर भगवान श्री कृष्ण गरुड़ पर सवार होकर नरकासुर की नगरी में आए। वहां उन्होंने सभी राक्षसों का वध करके पांचजन्य शंख बजाया तो नरकासुर दिव्य रथ पर सवार होकर भगवान के पास आ गया और भगवान से युद्ध करने लगा। घमासान युद्ध हुआ तथा भगवान ने उसकी छाती पर जब दिव्य शस्त्र से प्रहार किया तो नरकासुर धरती पर गिर पड़ा।
भूमि की प्रार्थना पर भगवान श्री कृष्ण नरकासुर के निकट गए तथा उसे वर मांगने को कहा। नरकासुर ने कहा कि जो मनुष्य मेरी मृत्यु के दिन मांगलिक स्नान करेगा उसे कभी नरक यातना नहीं मिलेगी। भगवान ने विभिन्न राजाओं की 16000 कन्याओं को नरकासुर की कैद से रिहा भी कराया था। नरकासुर के मारे जाने की खुशी में दीवाली से एक दिन पहले इसीलिए नरक चतुर्दशी यानी छोटी दीवाली मनाई जाती है।