Chaitra Navratri 2022: एक क्लिक में जानें मां दुर्गा के नौ रूपों की कहानी

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 01 Apr, 2022 11:35 AM

navaratri the story of goddess durga

शारदीय नवरात्र वस्तुत: शरद ऋतु के पदार्पण की सूचना है। ये 9 दिन स्वास्थ्य और शक्ति संचय के दिन हैं इसीलिए 9 दिनों तक व्रत-उपवास और देवी की आराधना का बड़ा महत्व है। इन दिनों कुछ लोग अन्न का पूर्ण त्याग करते हैं और

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Navratri Vrat Katha: शारदीय नवरात्र वस्तुत: शरद ऋतु के पदार्पण की सूचना है। ये 9 दिन स्वास्थ्य और शक्ति संचय के दिन हैं इसीलिए 9 दिनों तक व्रत-उपवास और देवी की आराधना का बड़ा महत्व है। इन दिनों कुछ लोग अन्न का पूर्ण त्याग करते हैं और कुछ एक समय ही भोजन करने का व्रत लेते हैं। इस अवसर पर दुर्गा सप्तशती का पाठ भी किया जाता है। इस दौरान अखंड ज्योति जलाने, खेतरी बीजने, कलश स्थापना करने, लाल वस्त्र पहनने और फलाहार करने का विशेष महत्व है। नवरात्र के शुभ मौके पर पढ़ें मां दुर्गा की नवशक्तियों का संक्षिप्त विवरण

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शैलपुत्री मां दुर्गा अपने पहले स्वरूप में शैलपुत्री के नाम से जानी जाती हैं। पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैल पुत्री पड़ा था। माता के दाहिने हाथ में त्रिशूल, बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित हैं। यही देवी नवदुर्गाओं में प्रथम हैं। 

ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा की नवशक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी हैं। ब्रह्मा शब्द का अर्थ है तपस्या अर्थात तप की देवी। इनके दाहिने हाथ में तप की माला, बाएं हाथ में कमंडल रहता है।

चंद्रघंटा मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम है। यह रूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनका मस्तक अर्ध चंद्राकार है। इनके दस हाथ हैं जिनमें खड्ग आदि शस्त्र एवं बाण विभूषित हैं। इनका वाहन सिंह है। इनका ध्यान हमारे लिए इहलोक व परलोक दोनों के लिए परम कल्याणकारी और सद्गति देने वाला है।

कूष्मांडा नाम है चौथे रूप का। मंद हंसी द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा नाम से अभिहित किया गया है। इनकी पूजा आराधना से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है।

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स्कंदमाता दुर्गा मां का पांचवां स्वरूप है। यह भगवान स्कंद कुमार कार्तिकेय नाम से भी जाना जाता है। इन्हीं भगवान स्कंद की माता होने के कारण इनको स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। इनकी चार भुजाएं हैं। इनकी आराधना से हर क्षेत्र में सुख व उन्नति प्राप्त होती है। 

कात्यायनी है मां का छठा स्वरूप। महर्षि कात्यायन की इच्छा थी कि मां भगवती उनके घर पुत्री रूप में जन्म लें। उनकी इच्छा पूरी करने हेतु ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए देवी को उत्पन्न किया तथा महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की। इस दिन साधक का मन आज्ञाचक्र में स्थित होता है।

कालरात्रि दुर्गा मां की सातवीं शक्ति हैं। इनके शरीर का रंग काला, बाल बिखरे हुए, गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला व तीन नेत्र हैं। इनकी साधना से साधक का मन सहस्त्रा चक्र में स्थित होता है। महागौरी मां दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम है। इनके वस्त्र एवं आभूषण श्वेत हैं, चार भुजाएं हैं और वाहन वृष है। इनकी पूजा सर्वविध कल्याणकारी है।

सिद्धिदात्री मां दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। यह सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं।

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